बचपन में करता था टाइमपास, लेकिन अब है इंडियन टीम का कैप्टन
बचपन में करता था टाइमपास, लेकिन अब है इंडियन टीम का कैप्टन
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आज भारत में हर कोई अनूप कुमार को पहचानता है. इंडियन कबड्डी टीम के कप्तान अनूप कुमार को आज पूरा देश पहचानता है. कड़ी मेहनत और अच्छे प्रदर्शन की बदौलत अनूप ने नाम कमाया है.प्रो कब्बडी लीग सीजन-1 के स्टार प्लेयर्स में से एक हैं अनूप कुमार. अनूप को अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है. एशियन गेम्स में जब 2010 और 2014 में भारत गोल्ड जीती थी, तो वो उस टीम के सदस्य भी थे.

आइए जानते है अनूप कुमार की जिंदगी के कुछ पहलु - अनूप हरियाणा के एक छोटे से गांव पलड़ा के रहने वाले हैं. बचपन से अनूप को कबड्डी पसंद नहीं थी लेकिन स्कूल टाइम में उन्हें कबड्डी से लगाव हो गया. पिता और भाई को पंसद नहीं था कि मैं कबड्डी खेलूं लेकिन टाइम पास के लिए खेलना जारी रखा और 17 साल की उम्र में इस खेल में इतनी रुचि बनी कि इसे करियर बना लिया और आज हर में मेरी पहचान ये देख खुशी होती है.

अनूप ने बताया की उनके पिता तो अब इस दुनिया मैं नहीं है लेकिन उनके भाई को अनूप पर गर्व होता है. अनूप ने बताया साल 2006 में उन्हें पहला इंटरनेशनल मैच खेलने का मौका मिला. यह मुकाबला पाकिस्तान की टीम से था. इसमें उनकी टीम ने जीत हासिल कर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था.

इसके बाद 2006 से अब तक वह इंडियन टीम में है और फिलहाल नेशनल कबड्डी टीम के कैप्टन हैं. अनूप ने अबतक 15 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. इनमें अधिकतर पाकिस्तान की टीम के साथ ही हुए हैं. अनूप ने पहले एअर इंडिया में नौकरी की लेकिन वे अब हरियाणा पुलिस में डी.एस.पी. हैं.

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