नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने की वकालत की है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में चुनावी प्रक्रिया में अधिक खर्च हो जाने के कारण इस तरह की प्रक्रिया को अपनाने की मांग की थी। भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी कानून और न्याय पर आधारित संसद की स्थायी समिति को पत्र लिखा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा और राज्य की विधानसभा के चुनावों को साथ करवाने के लिए कई स्थानों पर राजनीतिक दलों के मध्य बड़े पैमाने पर बहस करने की बात की है।
लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों को एक साथ करवाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के मध्य बड़ी बहस की वकालत भी की गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा और राज्य की विधानसभा चुनाव को साथ में करवाने के लिए राजनीतिक दलों से विचार - विमर्श करने के प्रयास पर पार्टी में चर्चा भी की है। अमित शाह ने कहा कि इस तरह की प्रक्रिया से चुनावी खर्च कम किया जा सकेगा।
हालांकि यह बात भी सामने आई कि चुनाव आयोग एक साथ चुनाव करवाने के विरूद्ध नहीं है मगर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रिसमूह के लिए इसे विचार में रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में वकालत करते हुए कहा था कि चुनावों के कारण कई तरह की बातें अटक जाती हैं। चुनावों पर बहुत व्यय हो जाता है। अन्नाद्रमुक और असमगण परिषद द्वारा सैद्धांतिक तौर पर विचार का समर्थन किया गया। अकाली दल के नेताओं ने कहा कि इस तरह के विचार के वे समर्थक हैं मगर इन मसलों पर उन्हें कुछ संशय है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस तरह के विचार को नकार दिया है। उनका कहना था कि इस तरह की बात अव्यवहारिक हो सकती है।
एनसीपी द्वारा इस मामले में कहा गया कि यह प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है। दूसरी ओर कम्युनिस्ट पार्टी आॅफ इंडिया के नेताओं ने भी कहा कि प्रस्ताव काफी आदर्श जरूर हो सकता है मगर इसे जब कार्य रूप में लाया जाएगा तो कई मुश्किलें सामने आऐंगी। विधि आयोग द्वारा वर्ष 1999 में सरकार को एक रिपोर्ट भेज दी गई। जिसमें एक साथ चुनाव करवाने के विचार का समर्थन भी हुआ।