अमरीकी बच्चे पढ़ेंगे भारत का इतिहास
अमरीकी बच्चे पढ़ेंगे भारत का इतिहास
Share:

यूरोप भी अजीब है हम जिन चीज़ों को इस्तेमाल कर, उपयोग कर छोड़ देते है, वो उसे अपना लेता है और ये उसकी आज की आदत नहीं हैं, बरसों पहले से वो हमारा पिछलग्गू रहा है, हमने आयुर्वेद छोड़ा, उन्होंने अपनाया, हमने योग छोड़ा, उन्होंने अपनाया यहाँ तक की जिस शिक्षा पद्धति से ऊबकर हमने उसे ठुकरा दिया, इन यूरोप वालों ने उसे भी अपना लिया. खैर, हमे क्या करना, हमने उन सब चीज़ों को गन्ने की तरह निचोड़ कर उसके रस को अपने आप में पचा डाला और कूचा फेंक दिया, पर यूरोप को उन कूचों में भी कुछ मिठास दिख गई और वे उसे उठाकर ले गए. 

अभी हाल ही में अमेरिकी वासियों ने ऐलान किया है, कि उनकी किताबों में भारत के इतिहास से जुड़े किस्से पढ़ाए जाएंगे, अब हमने सोचा की हम तो इन किस्से कहानियों से ऊब चुके है, हमे ये कहानिया निरि मूर्खता के अलावा कुछ नहीं लगती, सो हमेशा की तरह यूरोप वासियों ने उसे उठाकर अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया. और किया भी कौन सा किस्सा ग़दर पार्टी का, वो ग़दर पार्टी जो भारत की पूरी आज़ादी की मांग कर रही थी और जिसने आज़ादी न मिलने पर हथियारों से संघर्ष का ऐलान कर दिया था. 

यह पार्टी अमेरिका और कनाडा में रहने वाले उन भारतीयों ने बनाई थी, जो देश से प्रेम करते थे और उसकी आज़ादी का सपना देखते थे और उन्होंने लोगों को जगाने के लिए ग़दर नाम का साप्ताहिक अखबार चलाया था, जिसमे देशप्रेम की जोशीली कविताएं होती थी. अब बताओ इस किस्से से आपको क्या सीख मिलेगी, अरे भाई जब तुम गुलाम हो ही नहीं तो फिर संघर्ष किस बात का ? तुम तो कनाडा में रहते हो और गुलाम तो भारत है, और फिर कथा-कविताओं के बल पर भी कभी क्रांति हुई है, इसीलिए तो भारतवासियों ने किस्से कहानियों पर विश्वास करना बंद कर दिया है. पर अब इन यूरोपवासियों को कौन समझाए उन्हें तो हमारी छोड़ी हुई चीज़ें उठाने की आदत पड़ी है. खैर हमे क्या, हम बुद्धिजीवी और तार्किक लोग हैं और किस्से कहानियों से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते, हमारा एक विदेशी मित्र भी है, सबको यही कहता है कि "किस्से कहानियों से बाहर निकलो" पर कोई मानता ही नहीं चलो, आपकी हालत पर तरस खाकर आपको एक मशवरा दे देते हैं, अरे यूरोपवासियों ये किस्से कहानियां छोड़ो और युवाओं को तीन भागों में विभक्त करो, एक दल इंजीनयरिंग करेगा, एक दल डॉक्टरी और एक दल मैनेजमेंट, फिर देखो हमारे देश की तरह तुम भी कैसे फटाफट तरक्की करते हो वरना पड़े रहो उन्ही खोखली चीज़ों को टटोलते हुए और हमारे पिछलग्गू बने हुए.. ठीक है, चलते हैं , जय राम जी की... 

यह भी देखें: -

भारत : सत्तर बनाम चार साल, वक़्त और उसकी बदलती करवट

 


  

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -