काबुल: संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से यह घोषित किए जाने के बाद कि 11 सितंबर तक सभी अमेरिकी सेना पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़ देंगे, अब उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सदस्यों ने बुधवार को यहां से अपने सशस्त्र बलों की वापसी को लेकर सहमति जताई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, एक वर्चुअल बैठक में NATO के विदेश और रक्षा मंत्रियों के दिए गए बयान के अनुसार, अमेरिका ने 9/11 की घटना के बाद अफगानिस्तान पर हमला किया था।
इसके साथ ही साथ नाटो के अन्य सदस्य देशों ने भी अपने सैन्य बलों की तैनाती की थी, ताकि आतंकी संगठन अल कायदा और संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमला करने वालों का सामना किया जा सके और अफगानिस्तान का उपयोग अपने लिए एक सुरक्षित गढ़ के रूप में कर इन पर हमला करने से उन्हें रोका जा सके। बयान में आगे कहा गया कि, यह जानते हुए कि अफगानिस्तान के सामने आने वाली चुनौतियों का कोई सैन्य समाधान नहीं है, NATO के सदस्यों द्वारा 1 मई से अपनी सेना की वापसी की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी और कुछ महीनों के बाद इस काम को पूरा कर लिया जाएगा।
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने अमेरिकी राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा है कि, यदि वापसी के दौरान सहयोगी देशों की सेनाओं पर कोई भी तालिबानी हमला होता है, तो इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा।
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