न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में शामिल होने के लिए अमेरिका ने दिया भारत का साथ
न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में शामिल होने के लिए अमेरिका ने दिया भारत का साथ
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नई दिल्ली : न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की एंट्री पर रोक लगाने के लिए पाक और चीन द्वारा की जा रही नाकाम कोशिशों के बीच भारत को अमेरिका का साथ मिला है। अमेरिका ने कहा है कि भारत इसकी सभी योग्यताओं को पूरा करता है, इसलिए वो इस ग्रुप में शामिल होने के लिए पूरी तरह से योग्य है।

अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि मैं 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान कही बातों को दोहराते हुए कहना चाहूंगा कि भारत मिसाइल नियंत्रण प्रणाली के सभी नियमों को पूरा करता है, इसलिए व एनएसजी का सदस्य बनने के लिए पूरी तरह योग्य है।

प्रवक्ता ने कहा कि एनएसजी में किसे सदस्य के रूप में शामिल किया जाना है ये समूह का आंतरिक मसला है लेकिन अमेरिका ने इस मामले पर अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। 25-26 अप्रैल को एनएसजी पार्टिसिपेटिंग गवर्नमेंट्स के प्रोग्राम में भारत ने मेंबरशिप के लिए एक फॉर्मल प्रेजेंटेशन दिया था।

बैठक में इसी तरह का प्रेजेंटेशन पाकिस्तान ने भी दिया था। दरअसल पाकिस्तान नहीं चाहता कि भारत एनएसजी में एंट्री करें, इसलिए उसने चीन के साथ हाथ मिलाया है। चीन ने समानता के आधार पर पाकिस्तान का यह कहकर सपोर्ट किया है कि या तो दोनों की एप्लीकेशन रिजेक्ट की जाए या फिर दोनों की एप्लीकेशन एक्सेप्ट की जाए।

बता दें कि जून में एनएसजी के प्लेनरी सेशन में भारत के आवेदन पर चर्चा की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि पाक ने चीन का सहारा ही इसलिए लिया है कि वह ग्राउंड्स ऑफ पैरिटी के बेसिस पर भारत की एंट्री बैन करा सके। चीन भी इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि एनएसजी में पाकिस्तान की एंट्री का कोई चांस नहीं है।

ज्यादातर देश पाकिस्तान की एप्लिकेशन खारिज कर देंगे। नवंबर 2015 में पाकिस्तान के प्रेसीडेंट ममनून हुसैन चीन के दौरे पर गए थे। इसी दौरे में यह तय हुआ था कि यदि भारत एनएसजी में एंट्री मांगता है, तो चीन पाकिस्तान के लिए भी ऐसी ही मांग करेगा। चीन ने ममनून स,े कहा था कि भारत को एंट्री मिल जाती है, तो वो वीटो पावर का इस्तेमाल कर उसे बैन कर देगा।

यूएन में पाकिस्तान के पूर्व डिप्लोमैट जमीर अकरम के मुताबिक, चीन और पाकिस्तान एनएसजी में भारत की एंट्री रोकना चाहते हैं। अकरम ने बताया कि चीन यही चाहता है कि या तो एंट्री दोनों देशों को मिले, नहीं तो वह भारत के खिलाफ वीटो करेगा। यही नहीं, एनएसजी में पाकिस्तान के मित्र देश भी नहीं चाहते कि भारत की वहां एंट्री हो।

इस मामले में अमेरिका ने चीन को गेम प्लानर करार दिया है। अमेरिका का कहना है कि भारत के एटमी हथियारों पर रोक लगाने के भारत के दावे की पाकिस्तान के साथ तुलना ही नहीं की जा सकती।

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