कभी भारत को कहा था 'भिखारियों' का देश, आज उसी से गेंहू की गुहार लगा रहा अमेरिका
कभी भारत को कहा था 'भिखारियों' का देश, आज उसी से गेंहू की गुहार लगा रहा अमेरिका
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नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की चारों तरफ आलोचना हो रही है. अमेरिका सहित विश्व के कई देशों ने सरकार के इस फैसले पर चिंता प्रकट की है. हालांकि, भारत ने ये फैसला इसलिए लिया है, ताकि देश में बढ़ रही गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत को नियंत्रण में किया जा सके.  गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने से अमेरिका चिढ़ गया है. 

जर्मनी में हुई जी-7 देशों की बैठक में अमेरिका के कृषि सचिव टॉम विल्सैक ने कहा कि भारत, गेहूं तक पहुंच को बाधित कर रहा है. उन्होंने इसे 'गलत वक़्त में गलत कदम' करार दिया है. विल्सैक ने कहा कि हमें एक ऐसे बाजार की आवश्यकता है, जो जरूरतमंद लोगों तक सामान पहुंचाने में सहायता करे. उल्लेखनीय है कि भारत ने 13 मई को गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी. भारत ने ये रोक ऐसे वक़्त में लगाई है, जब रूस-यूक्रेन जंग के कारण दुनियाभर में गेहूं की आपूर्ति पर असर पड़ा है. भारत विश्व के उन देशों में शामिल है, जो गेहूं का सर्वाधिक निर्यात करते हैं. गेहूं का सबसे अधिक उत्पादन भी चीन के बाद भारत में ही होता है. 2021-22 में भारत में 1,113 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ है. 

भारत के गेहूं के निर्यात पर रोक के फैसले पर अमेरिका आज नाराज हो रहा है, मगर कभी ऐसा दौर भी था, जब अमेरिका गेहूं के लिए भारत को धमकाता था. उस वक़्त भारत गेहूं के लिए अमेरिका पर निर्भर हुआ करता था. पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग के दौरान अमेरिका ने भारत को गेहूं न देने की धमकी दी थी. यही नहीं, अमेरिका ने एक बार भारत को 'भिखारियों' का देश भी कहा था. 

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