नई दिल्ली: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के चीफ और आतंकी यासीन मलिक को फांसी देने की मांग की है। टेरर फंडिंग में सजा-ए-मौत की मांग लेकर NIA उच्च न्यायालय पहुंची थी, जिस पर सोमवार (29 मई) को जबरदस्त बहस देखने को मिली। गरमागरम बहस के बाद भी कोर्ट ने यासीन मलिक का पक्ष जानने के लिए उसे नोटिस भेजा है। इसके साथ ही तिहाड़ जेल प्रशासन से कहा है कि अगली सुनवाई के दौरान उसे कोर्ट में पेश किया जाए। यासीन मलिक को फांसी दिए जाने की मांग करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आतंकी ओसामा बिन लादेन की भी याद दिलाई।
Yasin Malik accepted he was waging war against Indian government since many years
— IAS Smoking Skills (@Smokingskills07) May 29, 2023
Meanwhile Indian government in 2006 : pic.twitter.com/MzN8eZmPOm
रिपोर्ट के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल ने यासीन मलिक मामले में लादेन का जिक्र करते हुए कहा कि, 'अगर ओसामा बिन लादेन को भी इस कोर्ट में लाया जाता तो क्या उसे यही ट्रीटमेंट मिलता।' इस पर मामले की सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा कि, 'दोनों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि लादेन के खिलाफ किसी भी कोर्ट में कोई ट्रायल नहीं चला था।' इस पर तुषार मेहता ने कहा कि मेरे खयाल से तो अमेरिका ने ठीक ही किया। तुषार मेहता की इस टिप्पणी पर न्यायमूर्ति मृदुल ने कोई जवाब नहीं दिया। बता दें कि, अमेरिका ने आतंकी लादेन को मारकर उसकी लाश को समुद्र में फेंक दिया था। यासीन मलिक ने भी भारतीय वायुसेना के 4 निहत्थे अफसरों को बेरहमी से मार डाला था और बाकायदा TV पर इस बात को कबूला भी था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुलाए जाने पर यासीन मलिक ने पीएम आवास जाकर उनसे मुलाकात भी की थी, जिसपर काफी बवाल मचा था। तब तक यासीन को अरेस्ट नहीं किया गया था, बल्कि उससे बातचीत की जा रही थी। वायुसेना अफसरों की हत्या के अलावा यासीन पर 1990 में कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या का भी इल्जाम है।
लेकिन, केंद्र में सरकार बदलने के बाद यासीन मलिक इस समय तिहाड़ जेल में बंद है और आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। 25 मई को ही ट्रायल कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उसे भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी पाया गया है। ट्रायल कोर्ट के फैसले को ही चुनौती देते हुए NIA ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। NIA का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यासीन मलिक ने जो जुर्म किया था, वह जघन्यतम की श्रेणी में आता है। एसजी ने कहा, 'अगर इस अपराध को भी जघन्यतम की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा तो फिर किसे रखा जाएगा? यदि इस मामले में फांसी जैसी सजा नहीं दी गई तो फिर कल को सभी आतंकी सामने आएंगे और अपनी गलती मानते हुए क्षमा मांग लेंगे। इस तरह वे आतंकी बच निकलेंगे।'
बता दें कि, तत्कालीन गृह मंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद को भी किडनैप कर लिया था। इसके एवज में उसने 5 खूंखार आतंकियों को रिहा करा लिया था। इन्हीं रिहा किए गए आतंकवादियों ने बाद में 26/11 आतंकी हमले को अंजाम दिया था। जिसमे कई लोगों कि जान गई थी।
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