52 शक्तिपीठों में से एक अंबाजी मंदिर इसलिए है प्रसिद्ध
52 शक्तिपीठों में से एक अंबाजी मंदिर इसलिए है प्रसिद्ध
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गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित अंबाजी मंदिर दुर्गा माता का प्रसिद्ध मंदिर है। गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित अंबाजी मंदिर भारत देश के प्राचीन मंदिरों में से एक है। माँ भवानी के 52 शक्तिपीठों में से एक इस मंदिर के प्रति भक्तों में आपार श्रद्धा है। कहा जाता है कि यहां माँ सती का हृदय गिरा था, जिसका उल्लेख तंत्र चूड़ामणि में भी मिलता है। आपको यह जानकर हैरत होगी की यहां गर्भगृह में माता की कोई प्रतिमा नहीं है। यहां पर माता के पवित्र श्रीयंत्र की पूजा की जाती है। खास बात यह है कि यह श्रीयंत्र सामान्य आँखों से दिखाई नहीं देता और न ही इसका फोटो लिया जा सकता है। इसकी पूजा केवल आँखों पर पट्टी बांधकर ही की जाती है। अंबाजी की असली सीट गब्बर पहाड़ी के ऊपर है। गब्बर पर्वत के चोटी पर देवी का एक छोटा सा मंदिर है जहां 999 सीढिय़ां चढ़कर ऊपर तक पहुंचा जा सकता है। ऐसा माना जाता है की यह मंदिर का निर्माण अहमदाबाद के अम्बाजी के एक नगर भक्त तपिशंकर ने सन 1584 से 1594 में करवाया था। 

अंबाजी मंदिर की एक बात यह प्रचलित है की यहां भगवान श्री कृष्ण का मुंडन संस्कार हुआ था और भगवान राम ने भी शक्ति की उपासना यहीं की थी। पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था, फिर उन्हें खोजने भगवन राम और लक्ष्मण माउन्ट आबू की पहाड़ी और आबू के जंगल में ढूंढने गए थे। शृंगी ने उन्हें देवी अम्बा की पूजा करने की सलाह दी, देवी ने उन्हें एक तीर दिया जिसे अजय कहा जाता है। उस तीर से भगवान राम ने अंत में रावण को मारा था। देवी आदि शक्ति सर्वोच्च ब्रह्मांडीय शक्ति का अवतार हैं और वह बुराई पर विजय प्राप्त करने के लिए जानी जाती हैं। माता रानी को महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है। 

अंबाजी मंदिर में आने वाले भक्त उस दिव्य लौकिक शक्ति की पूजा करते हैं, जो अंबाजी के रूप में अवतरित होती है। मंदिर देवी शक्ति के दिल का प्रतीक है और भारत में प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। नवरात्री के समय अम्बाजी मंदिर को सम्मानित करने के लिए भव्य आयोजन किए जाते है। माता की आराधना करने के लिए भक्तो द्वारा गरबा और अन्य नृत्य किये जाते है। नवरात्री के समय अम्बाजी मंदिर में बहुत चकाचौंध रहती है, वहीं भक्तो की भारी भीड़ लगी रहती है। नवरात्री के समय यहां भक्त बड़ी दूर-दूर से अपनी मनोकामनाओं को लेकर माता रानी के मठ पहुँचते है।

 

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