नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जज रंगनाथ पांडे ने पीएम नरेंद्र मोदी को को चिट्ठी भेजकर आरोप लगाया है कि उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत के जजों का चयन चाय पार्टी और दावतों में किया जाता है. इस पत्र में जज साहब ने लिखा है कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति में जातिवाद और वंशवाद को तरजीह दी जाती है. पत्र में लिखा गया है कि उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत में किसी जज के परिवार से होना ही अगला जज बनना सुनिश्चित करता है.
पत्र में आगे लिखा है कि, 'उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत के जजों की चयन प्रक्रिया बंद कमरों में चाय की दावत में सीनियर जजों की पैरवी व पसंदीदा होने की कसौटी पर की जाती रही है. इस संपूर्ण प्रक्रिया में गोपनीयता का ख़ास ध्यान रखा जाता है तथा भावी जजों को नाम नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सार्वजनिक किए जाने की परंपरा रही है.' 'अर्थात कौन किस आधार पर चयनित हुआ इसका तय मापदंड ज्ञात नहीं है, साथ ही प्रक्रिया को गुप्त रखने की परंपरा पारदर्शिता के सिद्धांत को झूठा साबित करने जैसी है.'
पत्र में आगे लिखा है कि, 'महोदय, जब आपकी सरकार द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक चयन आयोग को स्थापित करने की कोशिश की गई थी, तब पूरे देश को न्यायपालिका में पारदर्शिता के प्रति उम्मीद जगी थी. परंतु दुर्भाग्यवश माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में दखल मानते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया था.
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