नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि पति नाबालिग है तो वो बालिग पत्नी के साथ नहीं रह सकता. अदालत ने अपने आदेश कहा कि नाबालिग पति को उसकी बालिग पत्नी के हवाले करना पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा. इसलिए जब तक पति बालिग नहीं हो जाता, तब तक वो आश्रय स्थल में ही रहेगा.
अदालत ने ये फैसला लड़के की मां की याचिका पर सुनाया है. मां ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए उसकी अभिरक्षा मांगी थी. किन्तु लड़का अपनी मां के साथ भी नहीं रहना चाहता. वो अपनी पत्नी के साथ ही रहना चाहता है. लड़के की उम्र इस वक़्त 16 साल ही है और वो 4 फरवरी 2022 को 18 साल का होगा. इस याचिका पर फैसला देते हुए अदालत ने दोनों की शादी को 'शून्य' यानी 'निरस्त' कर दिया है. अदालत ने कहा कि "नाबालिग पति को बालिग पत्नी को नहीं सौंपा जा सकता. यदि ऐसा किया जाता है तो ये पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध होगा."
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की बेंच ने फैसला देते हुए कहा कि, "क्योंकि लड़का मां के साथ भी नहीं रहना चाहता. इसलिए उसे 4 फरवरी 2022 तक बालिग होने तक आश्रय स्थल में रखा जाए. बालिग होने के बाद लड़का अपनी मर्जी के हिसाब से कहीं भी किसी के साथ भी रह सकता है. किन्तु तब तक उसे आश्रय स्थल में ही सारी सुविधाओं के साथ रखा जाए.
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