बहुविवाह और निकाह-हलाला पर बैन के विरोध में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड, SC में लगाई याचिका
बहुविवाह और निकाह-हलाला पर बैन के विरोध में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड, SC में लगाई याचिका
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नई दिल्ली: बहुविवाह और निकाह-हलाला पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. AIMPLB ने सर्वोच्च न्यायालय में उस जनहित याचिका का विरोध किया है, जिसमें बहुविवाह और निकाह-हलाला पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की गई है. AIMPLB ने अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा कि बहुविवाह और अन्य प्रथाओं पर पहले ही फैसला सुनाया जा चुका है.

AIMPLB की तरफ से दाखिल अपनी याचिका में यह भी कहा गया कि धार्मिक प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका उस शख्स द्वारा दायर नहीं की जा सकती, जो उस धार्मिक संप्रदाय का हिस्सा नहीं है. मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए AIMPLB सहित कई मुस्लिम संगठन मौजूद हैं. शीर्ष अदालत ने पिछले महीने 2 दिसंबर को मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह प्रथा और हलाला के विरुद्ध दायर याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा था कि हम सर्दियों की छुट्टियों के बाद मामले को देखेंगे. ये मामला सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संविधान पीठ को भेज दिया गया है.

भाजपा नेता और पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में अदालत से जल्द सुनवाई की मांग की थी. याचिका में हलाला और पॉलीगेमी (बहुविवाह) को दुष्कर्म जैसा अपराध घोषित करने की मांग की गई है, जबकि बहुविवाह को संगीन अपराध घोषित करने की मांग की गई है.

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