'राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी जाएगी..', ओवैसी-मौलाना की बातें 'आतंकियों' जैसी क्यों ?
'राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी जाएगी..', ओवैसी-मौलाना की बातें 'आतंकियों' जैसी क्यों ?
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बन रहे राम मंदिर पर इस्लामी आतंकियों की गंदी नजर है। अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन अल क़ायदा ने अपनी पत्रिका गजवा-ए-हिंद के ताजा अंक में संकल्प लिया है कि अयोध्या के राम मंदिर को तोड़कर उसकी जगह एक मस्जिद का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा जिहादी फीड की तरफ से इस हफ्ते ऑनलाइन जारी पत्रिका ने पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी जमकर जहर उगला है। इसके साथ ही अल क़ायदा ने भारतीय मुस्लिमों से जिहाद का समर्थन करने के लिए कहा गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 110 पन्नों के संपादकीय में कहा गया है ‘जिस प्रकार बाबरी मस्जिद के ढाचे पर राम मंदिर बनाया जा रहा है, उसे गिरा दिया जाएगा और मूर्तियों के स्थान पर अल्लाह के नाम पर बाबरी मस्जिद बनाई जाएगी। ये सब बलिदान मांगता है।’ हालांकि, पत्रिका के कंटेंट को देखकर ऐसा लग रहा है कि, यह भारतीय परिवेश से परिचित किसी व्यक्ति द्वारा लिखा गया है। अलकायदा ने भारतीय मुस्लिमों को संबोधित करते हुए कहा गया है कि उन्हें 'इस कारण भौतिक नुकसान से डरना नहीं चाहिए', क्योंकि वे पहले ही दशकों से जीवन और संपत्ति का नुकसान झेल चुके हैं। अल क़ायदा ने भारतीय मुस्लिमों को भड़काते हुए कहा कि, अगर यह जान माल जिहाद के लिए इस्तेमाल होता तो इतना नुकसान न होता। आतंकी सगंठन ने जहर उगलते हुए भारतीय मुस्लिमों के लिए धर्मनिरपेक्षता को “नर्क” बताया है और जोर देते हुए कहा कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का नारा “एक धोखा” हैं।

आतंकी संगठन ने भारतीय मुस्लिमों को भड़काने के लिए गलत तथ्य भी पेश किए, उसने कहा कि, ‘यह सब महज बातचीत नहीं है। बाबरी मस्जिद को 30 वर्ष पहले ढहा दिया गया था। गुजरात के अहमदाबाद में 20 वर्ष पूर्व गर्भवती महिलाओं को उनके बच्चों के साथ पेट काटकर जलाया गया और आज हर जगह बुलडोजर चल रहे हैं। जामिया मिलिया (इस्लामिया) और अलीगढ़ से लेकर जामिया उस्मानिया (हैदराबाद उपनगर) व देवबंद (शहर) तक सभी के लिए हिंदू चाकू, भाले और तलवारें तेज कर रहे हैं।’ अलकायदा ने अपनी पत्रिका में कहा है कि, ‘सभी हिंदुओं को लाठी चलाना सिखाया जा रहा है। हिंदू महिलाओं के मुंह से सब्जी काटने वाले चाकुओं से मुस्लिमों के चेहरे और सिर काटने की बात सुनने को मिल रही है। अल-कायदा एक जिहाद से लड़ने का इरादा रखता है, ताकि पूरा भारतीय उपमहाद्वीप इस्लामी शासन का हिस्सा बन जाए और मूर्ति पूजा बंद हो जाए।’ ध्यान रहे कि, दुनिया का हर आतंकी संगठन मूर्ति पूजा का विरोधी है, क्योंकि इस्लाम में मूर्ति पूजा को हराम या शैतानी कृत्य माना जाता है। यही कारण है कि, मुग़ल काल से लेकर आज के आतंकवाद तक कट्टरपंथियों ने मूर्तियां और मंदिर तोड़े, और उनकी जगहों पर मस्जिदें बना दी। 

बता दें कि, आज मूर्ति पूजकों या स्पष्ट शब्द में कहें तो 'हिन्दुओं' के प्रति ये कट्टरपंथी विचार केवल आतंकी संगठन अल क़ायदा के ही नहीं हैं, बल्कि हर बात में लोकतंत्र, संविधान और कानून की दुहाई देने वाले भारत के भी कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम, भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद हो रहे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को पचा नहीं पा रहे हैं। वे आए दिन धमकी देते रहते हैं कि अयोध्या में मस्जिद थी और आगे भी रहेगी। हाल ही में एक मौलाना ने इस संबंध में बयान दिया था कि '50-100 वर्षों के अंदर भारत में मुस्लिमों का शासन आते ही राम मंदिर की जगह मस्जिद बना दी जाएगी।' ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन, जैसे बड़े संस्थान के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने कहा था कि, मुस्लिमों की आने वाली नस्लें इसको लेकर खामोश नहीं रहेंगी और आने वाले समय में मुस्लिम शासन आते ही, राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई जा सकती है।  सोचने वाली बात ये भी है कि, ये मौलाना जिस मुस्लिम शासन की बात कर रहे हैं, जब मुग़ल काल में वो शासन रहा होगा, तो कितने मंदिर तोड़े गए होंगे, कितने गैर-मुस्लिमों का खून बहाया गया होगा, सिख गुरुओं के सिर कलम कर दिए गए, नन्हे साहिबजादों को दीवारों में चुनवा दिया गया, ये सब बातें इतिहास में दर्ज हैं। ये सब अत्याचार केवल इसलिए किए गए क्योंकि उनका धर्म अलग था। और क्या आपको मौलाना रशीदी की बातें आतंकी संगठन अल क़ायदा की धमकियों से मेल खाती नहीं दिखती है ? 

बता दें कि, ये सोच केवल साजिद रशीदी की नहीं है, कई मुस्लिम नेताओं ने ऐसा ही बयान दिया है। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तो कई बार कहा है कि ‘अयोध्या में बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इशांअल्लाह’। ओवैसी कई बार ये भी कह चुके हैं कि मुस्लिम अपनी आने वाली नस्लों को बताएँगे कि वहाँ मस्जिद को शहीद करके मंदिर बनाया गया था। ओवैसी जब मंच से खड़े होकर, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध बातें करती हैं तो वहां मौजूद मुस्लिम भीड़ नारेबाजी करके उनका समर्थन करती है। कोई एक मुस्लिम बुद्धिजीवी, कानून-संविधान की दुहाई देने वाले ओवैसी को ये नहीं समझाता कि, तमाम दलीलें और सबूत देखने के बाद ही तो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। यही नहीं, ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन भी 15 मिनट पुलिस हटाने पर देश की 100 करोड़ आबादी को सबक सिखाने की बात करते हैं। यह बताने कि आवश्यकता नहीं कि अकबरुद्दीन किन 100 करोड़ लोगों की बात कर रहे थे। 

हाल ही में, 6 दिसंबर 2022 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के छात्र नेता मोहम्मद फरीद ने ‘काला दिवस’ के तौर पर मनाते हुए मार्च निकाला था। इसमें स्टूडेंट्स ने हाथों में पोस्टर ले रखे थे, जिसमें लिखा हुआ था कि, ‘जब अरजे खुदा के काब से, सब बुत उतरवाए जाएँगे’। यानी सारी मूर्तियां तोड़ीं जाएंगी।  इस दौरान छात्र कहते रहे कि ‘बाबरी मस्जिद अभी जिंदा है। मस्जिद वहीं थी, वहीं है और इंशाअल्लाह आगे भी वहीं रहेगी’। इससे यह स्पष्ट जाहिर होता है कि आतंकी संगठन अल कायदा की धमकी में भी बात वही है, जो मौलाना साजिद रशीदी कह रहे हैं, जो मुस्लिमों के नाम पर सियासत करने वाले नेता असदुद्दीन कह रहे हैं और वही बातें AMU में पढ़ने वाले मुस्लिम छात्र कह रहे हैं। इसलिए इसे केवल एक व्यक्ति का निजी बयान कहकर टाल देना, देश को खतरे में डालना ही होगा। इसके पीछे कुछ गहरी साजिश हो सकती है, जैसी कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) ने बना रखी है, वर्ष 2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने की। 

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