अक्षय तृतीया, बड़ा है दान का महत्व
अक्षय तृतीया, बड़ा है दान का महत्व
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वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया के तौर पर भी जाना जाता है। इस तृतीया के दिन पूरे ही समय शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन मंगल कार्य किए जाते हैं और वैवाहिक आयोजन भी होते हैं लेकिन इस बार शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण वैवाहिक आयोजन नहीं हो रहे हैं। मगर अक्षय तृतीया पर दान, स्नान, आदि करना बेहद शुभ फलदायी होता है। दरअसल अक्षय तृतीया एक ऐसा समय होता है जब हर शुभ कार्य किए जाते हैं यह तिथि अपने आप में पूर्ण होती है। इस तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में होता है।

इसका कारण यह है कि इस दिन अबूझ मुहूर्त में ही शुभकार्य किए जा सकते हैं। दरअसल चंद्रमा मन का स्वामी होता है यह लोगों के मन को प्रत्यक्ष तौर पर और जल्द प्रभावित करता है। सूर्य नक्षत्र मंडल का स्वामी है और वह केंद्र में अवस्थित है। यदि जातक गेहूं, गेहूं के सत्तू, लाल चंदन, गुड़, लाल वस्त्र, ताम्रपात्र और फल - फूल का दान करे और यह दान मंदिर में दे दे तो फिर उसे पुण्य मिलता है।

यदि वह चांवल, घी, चीनी, मोती, शंख, कपूर का दान करे। मंगल की शुभता के लिए जौ का सत्तू, गेहूं, मसूर, घी, गुड़, शहद, मूंगा का दान करे तो यह भी बेहद शुभफलदायी होता है। बुध की अनुकूलता के लिए हरा वस्त्र, मूंग दाल, हरे फल और सब्जी का दान भी किया जाना चाहिए। गुरू की प्रसन्नता के लिए केले के पेड़ में हल्दी को मिलाकर चढ़ा दिया जाए और फिर घी का दिया लगा दिया जाए इसमें केला, आम, पीपीते का दान किया जाए तो फिर यह उत्तम होता है।

शुक्र की शांति के लिए श्रृंगार सामग्री का दान करना बेहद उत्तम होता है। यह दान सुहागिनों को किया जा सकता है। सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, दूध, दही और मिश्री का दान भी किया जाना चाहिए। शन और राहु के लिए नारियल को मोती में लपेटकर 7 बादाम यह सब दक्षिणमुखी हनुमान जी के चरणों में समर्पित किया जाना चाहिए। यदि केतु अनिष्टकारक हो तो फिर सप्त धान्य, पंखे, खड़ाऊ छाता, लहसुनिया और नमक का दान भी किया जाना चाहिए। यदि संभव हो तो अशुभ ग्रहों के मंत्र का जाप करना भी शुभफलदायक होता है। 

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