style="text-align: justify;">वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यह बहुत ही पवित्र अवसर होता है। इस दिन की तिथि का क्षय नहीं होता है और इस दिन किए गए काम शुभ फल ही देते हैं। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर विवाह मुहूर्त और समय देखने की जरूरत नहीं होती बस खुश होकर फेरे ले लेना ही काफी होता है। माना जाता है कि इस दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था।
है दुर्लभ संयोग
मिली जानकारी के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन प्रतिवर्ष अक्षय तृतीया आती है इस बार यह 21 अप्रैल को आ रही है।
ज्योतिषों की मानें तो इस बार की तिथि बेहद दुर्लभ योग लेकर आई है।
दरअसल इस दिन प्रातः 6.15 बजे से दोपहर 11.57 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग और दोपहर 11.58 से सूर्यास्त तक रवि योग का विशिष्ट संयोग बना हुआ है।
सर्वार्थ सिद्धि योग में कोई भी काम करने से वह सिद्ध होता है दूसरी ओर विशिष्ट योग का संयोग बने रहने से लोग जमकर खरीदी भी कर सकते हैं। इस दिन सोना खरीदने का भी विधान है। जिस कारण सराफा कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान सजाकर रखे हुए हैं।
आधुनिक जीवन शैली के बढ़ते चलन के कारण अब इलेक्ट्राॅनिक बाजार, होम अपल्यासेंस, आॅटोमोबाईल सामग्री भी खरीदने का चलन है। जिस कारण इनकी ग्राहकी भी अच्छी रहती है। इस तिथि से सभी तरह के मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है। इसी दिन माता रेणुका के गर्भ से श्री हरिविष्णु ने परशुराम के तौर पर जन्म लिया। इस तिथि को अपने आप में पूरा और बेहद शुभ माना जाता है। यह तिथि गृह प्रवेश के लिए भी अच्छी रहती है।