अखिलेश ने पत्र लिख मोदी से मांगे 1000 करोड़ रुपये
अखिलेश ने पत्र लिख मोदी से मांगे 1000 करोड़ रुपये
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style="font-family: sans-serif; font-size: 16px; line-height: 20.7999992370605px; text-align: justify; background-color: rgb(249, 249, 249);">उत्तर प्रदेश / लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने यहां मंगलवार को कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से तबाह हुए किसानों को राहत पहुंचाने के लिए अभी तक केंद्र सरकार ने एक भी पैसा नहीं दिया है। सूबे के कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसानों को तत्काल राहत देने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 1000 करोड़ रुपये देने का अनुरोध किया है, लेकिन वहां से इस मद में अभी तक एक भी पैसा नहीं भेजा गया है।
 
राज्य सरकार का दावा है कि उसने प्रभावित जिलों में अब तक 1087 करोड़ रुपये भेजे हैं, जिनमें से 320 करोड़ रुपये किसानों के बीच वितरित भी किए जा चुके हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान शिवपाल ने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रदेश के किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसानों की हुई क्षति का ईमानदारी व उदारतापूर्वक आकलन कर उन्हें उनकी सही क्षतिपूर्ति समय से देना सुनिश्चित करें।
 
शिवपाल ने कहा कि इस आपदा के समय लापरवाही करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की टीम ने भी प्रदेश का दौरा कर फसलों की बर्बादी का आकलन किया है। केंद्रीय टीम ने कुल 1100 करोड़ रुपये की क्षति आंकी है और राहत के लिए 74,4़28 करोड़ रुपये देने की सिफारिश भी की है। एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि जिन किसानों के नाम खेत नहीं हैं और वे बंटाई के आधार पर खेती करते हैं, उन्हें भी मुख्यमंत्री राहत कोष से मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
 
उन्होंने ग्राम प्रधान और अन्य जनप्रतिनिधियों से भी अनुरोध किया कि वे किसानों की हुई क्षति का आकलन कर सरकार को सही जानकारी उपलब्ध कराएं। शिवपाल ने इस मौके पर डॉ. भीमराव अंबेडकर पर समाजवादी चिंतक मधु लिमये की लिखी पुस्तक के नेपाली वर्जन का विमोचन भी किया। डॉ. अंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए काबीना मंत्री ने कहा कि बाबा साहेब एक सच्चे समाजवादी थे। किसी दल का नाम लिए बगैर सपा नेता ने कहा कि कुछ लोगों ने डॉ. अंबेडकर को एक दायरे में सीमित कर रखा है जो उनका अपमान है।
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