अजमेर: जम्मू-कश्मीर के आतंकी यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान ने इसे कर्मों की सजा करार दिया है। अजमेर शरीफ के दीवान जेनुअल आबेदीन ने यासीन मलिक की सजा को जायज ठहराते हुए इसे न्यायपालिका की आज़ादी कहा है।
दरगाह के दीवान व आध्यात्मिक प्रमुख सैयद ज़ैनुअल आबेदीन अली खां ने ट्वीट के जरिए बयान जारी करते हुए कहा है कि यासीन मलिक को पूरी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद उसके गुनाहों के लिए दंडित किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि, 'भारत की न्याय व्यवस्था ने एक बार फिर अपनी बुद्धिमत्ता, स्वतंत्रता और पारदर्शी छवि को साबित किया, जिसकी तारीफ पूरी दुनिया करती है।'
खां ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि, 'मलिक ने भारत में आतंकवाद को भड़काकर आतंकी वारदातों को अंजाम दिया। उसने बेकसूर कश्मीरियों के हाथ से किताबें छीनकर उनके हाथ में जबरदस्ती बंदूकें देकर उन्हें आतंकी बना दिया।' उन्होंने कहा कि यासीन को उसके कर्मों की सजा मिली है, यासीन मलिक की सजा से पाकिस्तान का आतंक पसंद चेहरा भी उजागर हुआ है। बता दें कि, NIA कोर्ट ने आतंकी यासीन मलिक को आतंकवाद से जुड़े कई मामलों में उम्र कैद की सजा सुनाई है।
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