मध्यप्रदेश: क्यों नजर अंदाज किए जा रहे हैं अजय सिंह
मध्यप्रदेश: क्यों नजर अंदाज किए जा रहे हैं अजय सिंह
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मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है. चुनाव से पहले बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों दलों में चुनाव की बौखलाहट साफ़ तौर पर देखी जा सकती है, दोनों पार्टियों ने अपना प्रचार भी शुरू कर दिया है. एक तरफ जहाँ बीजेपी बीते कुछ सालों से एक ही चेहरे शिवराज सिंह चौहान पर चुनाव लड़ी है वहीं कांग्रेस के लिए अब मुख्यमंत्री का चेहरा सबसे बड़ी मुसीबत बनता नजर आ रहा है. खैर यह बात किसी से भी छुपी नहीं है कि कांग्रेस मध्यप्रदेश में कई गुटों में बंटी है, जिसका नुकसान उसे हर छोटे-बड़े चुनावों में उठाना ही पड़ता है. लेकिन हाल ही में कांग्रेस की कोर कमेटी के गठन और चुनाव प्रचार में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का जो रोल सामने आ रहा है, उसके समक्ष जनता के बीच गहरी साख रखने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे और मप्र के सीधी स्थित चुरहट से विधायक अजय सिंह को इस कमेटी से नदारद रखा गया है जो सवालिया निशान खड़े करता है.बता दें, अजय सिंह उर्फ राहुल भैया, इस समय मध्यप्रदेश में विपक्ष के नेता है. विपक्ष के नेता होने के नाते चुनाव में कमान संभालने का काम भी वहीं नेता करता है जो अपने विधायकों का मुख्य नेता होता है लेकिन यहाँ पर कांग्रेस ने जो रणनीति बनाई है वो समझ से परे है. कांग्रेस के द्वारा बनाई गई कमेटी में, उन नेताओं को सिरे से खारिज किया गया है, जो किसी न किसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के खेमे वाले है. इनमें मुख्य नाम अजय सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के बेटे और पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का नाम भी है. अजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति में अपनी गहरी छाप रखते है, उसके बावजूद उनको वो तवज्जों नहीं दी रही है, जो आम तौर पर उन्हें मिलनी चाहिए.कांग्रेस चाहे ऊपरी तौर पर खूब दिखावा कर ले कि उसके सभी नेता पार्टी के लिए काम कर रहे है लेकिन हाल ही में मंदसौर में राहुल गाँधी की रैली हो या मीडिया से बातचीत, अजय सिंह के चेहरे पर इस बात की नाराजगी साफ तौर पर दिखाई देती है, जिसका खामियाजा हो सकता है कांग्रेस को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ जाएं.

कांग्रेस ने फिलहाल मध्यप्रदेश में अपना कोई चेहरा घोषित नहीं किया है. जो कांग्रेस बाहर से मध्यप्रदेश में इतनी मजबूत दिखाई दे रही है वो अंदर से उस खीरे की तरह है जिसको काटने पर भीतर से तीन टुकड़े नजर आते है. यही कारण है कि कांग्रेस मध्यप्रदेश में अपना चेहरा घोषित करने से बच रही है. वहीं इस खेल में अब तक नदारद रहे कांग्रेस विपक्ष के नेता अजय सिंह के चेहरे पर चुनावी रैलियों के दौरान नाराजगी साफ तौर पर देखी जा सकती है, बाकी वक्त बताएगा कि मध्यप्रदेश में सत्ता का सुख कौन सी पार्टी के किस नेता को मिलेगा. 

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