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महाराष्ट्र/औरंगाबाद : औरंगाबाद स्थानीय निकाय चुनाव में हैदराबाद की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) पार्टी के शानदार प्रदर्शन से परेशान शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि यह जीत महाराष्ट्र में सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए शुभ नहीं है। शिवसेना ने कहा, "यह चिंता की बात है कि किस तरह से एआईएमआईएम को संभाजीनगर के मुस्लिम मुहल्लों पर मजबूती मिली है। ओवैसी बंधुओं ने संभाजीनगर में शिवसेना को उखाड़ फेंकने की चुनौती दी थी।"
शिवसेना औरंगाबाद को संभाजीनगर नाम से बुलाती है। शिवसेना की यह भी मांग है कि औरंगाबाद का नाम मुगल बादशाह के बजाए महान मराठा राजा के नाम पर रखा जाना चाहिए।
शिवसेना ने अपनी पार्टी के मुखपृष्ठ 'सामना' के संपादकीय में एआईएमआईएम पर दलित-हिंदू मतों को विभाजित करने की गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया है।
संपादकीय में चेतावनी दी गई है, "सिर्फ मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए गठित की गई पार्टी को यदि दलितों से भी इसी तरह का समर्थन मिलता रहा तो यह न केवल सामाजिक एकता के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि अंबेडकर आंदोलन के लिए भी खतरनाक है।"
पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को औरंगाबाद के कुल 113 में से 50 वार्डो में बढ़त मिली थी। इस संकेत के आधार पर ही एआईएमआईएम ने इस नगर निकाय पर कब्जा करने का सपना सजो रखा था।
हालांकि, औरंगाबाद में शिवसेना की जीत हुई है, फिर भी पार्टी महसूस करती है कि एआईएमआईएम जैसी कोई सांप्रदायिक पार्टी खतरा बन सकती है, क्योंकि यह एक इस्लामिक बैनर के तले मुस्लिम मतों को एकजुट कर रही है।
सेना ने आग्रह किया, "अब, हिंदुओं को चुनावी नतीजों को देखते हुए अपनी आंखें खोलनी चाहिए और अपने मतभेदों को भुलाकर एकजुट होना चाहिए। औरंगाबाद निकाय चुनावों से यह एक स्पष्ट संदेश मिला है।"
संपादकीय में 22 अप्रैल को औरंगाबाद नगर निकाय चुनाव में एआईएमआईएम के आश्चर्यजनक प्रदर्शन का जिक्र है। शिवसेना को 28 सीटों पर जीत मिली, एआईएमआईएम 26 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 24 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही है।