इस वजह से मनाई जाती है अहोई अष्टमी, यहाँ जानिए कथा
इस वजह से मनाई जाती है अहोई अष्टमी, यहाँ जानिए कथा
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आप सभी को बता दें कि करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली से आठ दिन पहले महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाता है. कहते हैं यह व्रत संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु के लिए किया जाता है. इसी के साथ यह मान्यता है अहोई अष्टमी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है और यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को आता है. आप सभी को बता दें कि इस बार यह व्रत 31 अक्टूबर को है और इस व्रत को तारों को देखकर खोला जाता है. ऐसे में आइए आपको बताते हैं अहोई अष्टमी व्रत की कथा.


अहोई अष्टमी की व्रत कथा  - हिंदू धर्म में प्रसिद्ध एक कथा के अनुसार एक साहुकार से सात बेटे और एक बेटी थीं. सातों पुत्रों की शादी हो चुकी थी. दिवाली मनाने के लिए साहुकार की बेटी घर आई हुई थी. दिपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं के साथ बेटी मिट्टी लाने जंगल निकली. साहूकार की बेटी जिस जगह से मिट्टी निकाल रही थी, वहां खुरपी की धार से स्याहू का एक बेटा मर गया. स्याहू इस बात से रोने लगी और गुस्से आकर बोली, "मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी".इस बात को सुन वह घबरा गई और उसने अपनी सातों भाभियों को एक-एक कर उसके बदले में कोख बंधवाने को कहा. सबसे छोटी बहू को ननद का दर्द देखा ना गया और वो अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो गई. इस घटना के बाद उसके जो बच्चे होते तो सातवें दिन मर जाते. ऐसे करते-करते छोटी बहू के सात बेटों की मृत्यु हुई.

अपने साथ बार-बार होती इस घटना को देख उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा. पंडित ने हल बताते हुए सलाह दी कि वह सुरभी गाय की सेवा करे. छोटी बहू ने सुरभी की सेवा और उसकी सेवा से प्रसन्न होकर सुरभ गाय उसे स्याहु के पास ले जाती है, जिसने उसे श्राप दिया था. स्याहु के घर जाते हुए रास्ते में छोटी बहू आराम के लिए रुकती है. अचानक वह देखती है कि एक सांप गरुड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. वह सांप को मार देती है. लेकिन गरुड़ पंखनी को खून देख गलती से लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे की हत्या कर दी. वह क्रोध में आकर कुछ बोलती इससे पहले उसे बताया जाता है कि उसने सांप को मारकर बच्चे की जान बचाई.

गरुड़ पंखनी इस बात पर प्रसन्न होकर छोटी बहू को स्याहु के पास पहुंचा देती है. वहां, स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहू का आशीर्वाद देती है. इसके बाद छोटी बहू से घर फिर कभी पुत्र की असमय मृत्यु नहीं होती और हमेशा के लिए उसका घर हरा-भरा हो जाता है. 

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