प्रेम संबंध और नपुंसकता के कारण खुदकुशी कर रहे किसान : राधामोहन
प्रेम संबंध और नपुंसकता के कारण खुदकुशी कर रहे किसान : राधामोहन
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नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह शुक्रवार को दिए अपने एक विवादित बयान के कारण फंस गए है, राधामोहन ने कहा कि इस साल देश में 1,400 से अधिक किसानों की खुदकुशी के लिए दहेज, प्रेम संबंध व नपुंसकता जैसे कारण जिम्मेदार हैं। उन्होंने राज्यसभा में देश में कई किसानों की खुदकुशी के कारणों को लेकर एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, "राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, किसानों की खुदकुशी के लिए पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, मादक पदार्थ, दहेज, प्रेम संबंध तथा नपुंसकता जैसे कारण जिम्मेदार हैं।"

मंत्री ने जवाब में हालांकि ऋण को भी एक कारण मानने से इंकार नहीं किया, बीते एक साल में देश भर में 1,400 किसानों की खुदकुशी पर सरकार की यह टिप्पणी विपक्ष के लिए एक नया मुद्दा साबित होगी, जो नरेंद्र मोदी सरकार को विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसान विरोधी तथा गरीब विरोधी कहकर उसका पहले से ही विरोध कर रही है, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2014 में कुल 5,650 किसानों ने खुदकुशी की, जिनमें अधिकांश मामले महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा छत्तीगढ़ के हैं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट 'एक्सिडेंटल डेथ्स एंड सूसाइड्स इन इंडिया 2014' के मुताबिक, कुल 5,650 किसानों ने खुदकुशी की, जिनमें 5,178 पुरुष, जबकि 472 महिलाएं थीं, आंकड़ों से यह खुलासा होता है, "महाराष्ट्र में किसानों की खुदकुशी के सर्वाधिक 2,578 (45.5 फीसदी), जिसके बाद तेलंगाना में 898 (15.9 फीसदी), जबकि मध्य प्रदेश में 826 मामले (14.6 फीसदी) सामने आए हैं।"

रिपोर्ट के अनुसार महिला किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले में तेलंगाना 31.1 फीसदी मामलों के साथ पहले पायदान पर है, जबकि मध्य प्रदेश में 29.2 फीसदी तथा महाराष्ट्र में 14.1 फीसदी मामले सामने आए हैं, दिवालियापन/ऋणग्रस्तता के कारण 20.6 फीसदी, जबकि पारिवारिक उलझनों के कारण 20.1 फीसदी किसानों ने खुदकुशी की। इसके अलावा फसल खराब होना (16.8 फीसदी) तथा बीमारी (13.2 फीसदी) अन्य कारण रहे, रिपोर्ट के अनुसार खुदकुशी करने वाले 65.75 फीसदी किसान 30-60 साल आयुवर्ग के थे। इनमें 59 किसान 18 साल से कम आयु के थे। यहां तक कि साल 2014 के दौरान हर घंटे 15 लोगों ने खुदकुशी की। हालांकि खुदकुशी के मामलों में कमी आई है। साल 2013 में खुदकुशी के 1,34,799 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2014 में यह आंकड़ा 1,31,666 रहा।

एक बार फिर खुदकुशी के मामले में महाराष्ट्र 16.307 मामलों के साथ शीर्ष पर रहा, जिसके बाद 16,122 मामलों के साथ तमिलनाडु दूसरे, जबकि 14,310 मामलों के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर रहा, इसके अलावा, भोपाल में खुदकुशी के मामलों में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। साल 2013 में यह 384, जबकि साल 2014 में बढ़कर 1,064 हो गया, जो 177 फीसदी की बढ़ोतरी दर्शाता है। वहीं कानपुर में खुदकुशी के मामलों में 78.7 फीसदी की कमी आई है, जो साल 2013 में 648, जबकि साल 2014 में 138 रहा।

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