style="text-align: justify;">उत्तर प्रदेश / आगरा : ताजनगरी आगरा में यूं तो कई स्मारक हैं लेकिन इनकी हालत दिनों दिन जर्जर ही होती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि केवल पेशेवर प्रबंधक ही आगरा की इन धरोहरों की रक्षा कर सकते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार की अध्यक्षता वाली पर्यावरण मामलों की संसदीय समिति ने पिछले हफ्ते इन धरोहरों का दौरा किया और हितधारकों के साथ बातचीत की।
इस समिति ने ताजमहल समेत सभी धरोहरों के खराब रखरखाव पर चिंता व्यक्त की। समिति ने विशेष रूप से ताजमहल के सफेद पत्थर पर काले छोटे-छोटे धब्बे पाए और उन्हें जल्द से जल्द सही करने के लिए कहा। समिति के सदस्यों को ताजमहल पीला भी नजर आया। यह पहला मौका नहीं है जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के खराब संरक्षण प्रयासों पर चिंता जताई गई हो।
विशेषज्ञ और जानकार पर्यटक स्मारकों को देखने के बाद उन पर सवाल उठाते रहे हैं। प्रख्यात मुगल इतिहासकार आर. नाथ ने सूत्रों से कहा, "आगरा में एतिहासिक इमारतें खतरे में हैं। वे कड़ी उपेक्षा और एएसआई में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकार हैं। एएसआई ने पुराने हो रहे स्मारकों के स्वस्थ और बेहतर दिखने के लिए कुछ खास नहीं किया है।"
बृज मंडल धरोहर संरक्षण समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने सूत्रों से कहा, "विश्व धरोहर दिवस मनाने के लिए कुछ ठोस नहीं किया जा रहा है। विश्व विरासतें देखने के लिए मुफ्त में प्रवेश देने से कुछ नहीं होगा। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोन्यूमेंट्स एंड साइट्स और यूनेस्को की आधा दर्जन से अधिक सिफारिशें अभी तक लागू नहीं की गई हैं।"
उन्होंने कहा, "यह विशेष दिवस सांस्कृति विरासतों की विविधता से जनता को जागरूक करने के अवसर का विशेष दिन है। इसकी रक्षा और संरक्षण के लिए प्रयासों की जरूरत है।" आगरा में एएसआई धरोहरों के संरक्षण कार्य और रखरखाव में जनता को न केवल शामिल करने में विफल रही है अपितु ज्यादातर धरोहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के अपने प्रयासों में भी इसने ढिलाई बरती है।
एएसआई के शीर्ष अधिकारियों पर लगातार आरोप लगते रहते हैं। उन पर टिकटों की कालाबाजारी को बढ़ावा देने के लिए जाली टिकट बेचने और घटिया निर्माण कार्य जैसी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगते हैं। यहां तक कि संरक्षण कार्य में इसकी विशेषज्ञता पर सवाल खड़े हुए हैं। स्थानीय इतिहासकार राज किशोर ने सूत्रों से कहा, "हमारा पूरा ध्यान ताजमहल पर रहता है। हम अन्य एतिहासिक धरोहरों जैसे बाबर का राम बाग और चीनी का रोजा.. इन पर बहुत कम ध्यान देते हैं।
इसी तरह से कई अन्य महत्वपूर्ण धरोहरों जैसे जामिया मस्जिद और फतेहपुर सीकरी स्थित रासूल शाह के मकबरे की जानबूझकर उपेक्षा करते हैं।" ताजनगरी में अब एक सवाल उठने लगा है कि धरोहरों को संरक्षित करने का अधिकार क्या केवल एएसआई के पास ही होना चाहिए, या फिर 150 साल पुराने इस संगठन को अन्य व्यावसायिक समूहों के साथ इस काम को साझा करना चाहिए।