श्रीनगर : मुंबई में वर्ष 1993 में हुए बम धमाकों को लेकर फांसी पर चढ़ाए गए याकूब मेमन का शव उसके परिजन को सौंपे जाने के बाद अब संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू के अवशेषों को परिजन को सौंपे जाने की मांग उठने लगी है। दरअसल 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर चढ़ाए जाने के बाद अफजल गुरू को जेल परिसर में ही दफना दिया गया।
तत्कालीन यूपीए सरकार ने अफजल के अवशेषों को उसके परिजन को सौंपने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद कश्मीर में इसे लेकर जमकर विरोध हुआ। परिवार के सदस्यों ने कहा कि अंतिम समय में उससे किसी को भी मिलने तक नहीं दिया गया तो दूसरी ओर किसी को भी उसके अंतिम संस्कार में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई।
मामले में नेशनल कांफ्रेंस के प्रवक्ता आगा सईद ने अफजल गुरू के शव को उसके परिजन को न सौंपने का विरोध किया और कहा कि याकूब के शव को तो परिजन को सौंप दिया गया। मगर अफजल गुरू का शव उसके परिजन को क्यों नहीं सौंपा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अफजल गुरू के अवशेष लौटाने की मांग केंद्र सरकार से की थी लेकिन केंद्र ने यह मांग नहीं मानी और इसका विरोध राज्य सरकार को झेलना पड़ा।