सावरकर पर राहुल गांधी के बयानों के बाद अकेली पड़ी कांग्रेस, उद्धव के बाद पवार ने छोड़ा साथ !
सावरकर पर राहुल गांधी के बयानों के बाद अकेली पड़ी कांग्रेस, उद्धव के बाद पवार ने छोड़ा साथ !
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मुंबई: स्वातंत्रवीर के नाम से विख्यात विनायक दामोदर सावरकर यानी वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दिए गए विवादित बयानों के बाद कांग्रेस महाराष्ट्र में अलग-थलग पड़ती दिखाई दे रही है। पहले पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने इसका विरोध किया। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने सावरकर को महान बताकर अपनी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को एक और झटका दे दिया है। दरअसल, NCP प्रमुख पवार ने शनिवार (1 अप्रैल) को कहा कि सावरकर का वैज्ञानिक दृष्टिकोण था और वह एक प्रगतिशील व्यक्ति थे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सावरकर को लेकर दिए गए राहुल गांधी के बयानों से सियासी विवाद हुआ है, जो कि जनता को गंभीर मुद्दों से भटका रहा है।

शरद पवार ने आगे कहा कि उन्होंने भी सावरकर को लेकर कुछ बयान दिए थे, मगर वे विशेष रूप से हिंदू महासभा के संबंध में थे। जिसके नेता सावरकर थे। शरद पवार ने वीर सावरकर को अपने दौर का बेहद प्रगतिशील नेता बताते हुए कहा कि, 'सावरकर ने अपने घर के सामने एक मंदिर बनवाया था और इसकी जिम्मेदारी वाल्मीकि (दलित) समुदाय के एक सदस्य को सौंपी थी।' बता दें कि, इससे पहले शिवसेना (UBT) ने कहा था कि वह सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। बता दें कि राहुल गांधी ने सावरकर को कायर करार देते हुए कहा था कि उन्होंने अपनी आजादी के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी। यही नहीं, लोकसभा से अयोग्य ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि, 'मैं सावरकर नहीं, मैं गांधी हूं। मैं माफी नहीं मांगूगा।'

बता दें कि, सावरकर देश के एकमात्र ऐसे क्रन्तिकारी हैं, जिनकी गतिविधियों के चलते अंग्रेज़ों ने उन्हें 2 जन्म कालापानी की सजा सुनाई थी, यानी उन्हें 50 साल कठोर यातनाओं को सहकर सेलुलर जेल में रहना था। अंग्रेज़ों की मंशा स्पष्ट थी कि, D यानी डेंजरस तमगे वाले कैदी सावरकर को जेल में ही मार डाला जाए। कई सालों तक कालापानी की अंधेरी कोठरी में कोलू के बैल की तरह तेल निकालने के बाद सावरकर के मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे। काफी कश्मकश के बाद सावरकर ने तय किया कि यदि मरना ही है तो देश के शत्रु को मारकर ही मरेंगे, कायर की तरह नहीं और ये काम जेल के बाहर आए बिना संभव नहीं था। जिसके बाद उन्होंने जेल से बाहर आने के लिए माफीनामा लिखा और जेल से निकलकर मदनलाल ढींगरा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे कई क्रांतिकारियों की प्रेरणा बने। वो सावरकर ही थे, जिन्होंने 1857 के संग्राम को पहला स्वतंत्रता संग्राम साबित करते हुए किताब लिखी थी, जो क्रांतिकारियों के लिए किसी ग्रन्थ से कम नहीं थी। इस संग्राम को अंग्रेज़ों ने सैन्य विद्रोह बताकर दबा रखा था, लेकिन वीर सावरकर की पुस्तक पढ़कर भगत सिंह जैसी कई क्रांतिकारियों ने प्रेरणा ली और देश की आज़ादी में अपना योगदान दिया। वीर सावरकर के सम्मान में ही PM रहते हुए इंदिरा गांधी ने डाक टिकट जारी किया था और एक पत्र लिखकर सावरकर को माँ भारती का अद्भुत पुत्र बताया था। 

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