भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कुछ वर्ष पहले मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था. सरकार ने नोटीबंदी का मकसद कालाधन वापसी बताया था. लेकिन अब भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए नोटबंदी का फैसला इसके मकसद को चुनौती दे रहा है. फैसले के बाद बाजार में लाए गए नए नोटों से ही फर्जीवाड़े का खेल हो रहा है. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी दो हजार के नोटों की है. सबसे ज्यादा मामले गुजरात से हैं. इसके बाद पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश आते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के बाद से अब तक नकली नोटों के मामले में दो हजार के नोटों की 56 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच सौ और हजार के नोट बंद कराने के एलान के साथ नए नोटों के सुरक्षा पहलुओं का भी दावा किया गया था लेकिन एनसीआरबी के आंकड़े कुछ और ही बता रहे हैं. इसके मुताबिक साल 2017-2018 में कुल 46.06 करोड़ कीमत के नकली नोट पकड़े गए. इसमें दो हजार के नोटों की हिस्सेदारी 2017 में 53.3 प्रतिशत और 2018 में बढ़कर 61.1 प्रतिशत हो गई.
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इस मामले को लेकर आरबीआइ की 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017-18 के दौरान बैंक में लेनदेन के दौरान दो हजार के 17,929 नकली नोट मिले. अगले ही साल यह संख्या बढ़कर 21,847 हो गई.नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जब्त नकली नोटों में दो हजार की सर्वाधिक हिस्सेदारी गुजरात से हैं. 2018 में 6.93 करोड़ कीमत के दो हजार के नकली नोट गुजरात से मिले जबकि पश्चिम बंगाल से 3.5 करोड़, तमिलनाडु से 2.8 करोड़ और उत्तर प्रदेश 2.6 से करोड़ कीमत के बराबर दो हजार के नोट मिले. खास बात यह है कि झारखंड, मेघालय और सिक्किम के अलावा चंडीगढ़, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव, पुडुचेरी से दो हजार का एक भी नकली नोट नहीं पकड़ा गया.
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