जम्मू: मैदानी इलाकों में बासमती के बाद अब गेहूं की फसल पर संकट मंडराना शुरू हो गया है. इसके विपरीत कंडी इलाकों में गेहूं की पैदावार के लिए बारिश लाभदायक सिद्ध होगी. मैदानी इलाकों जम्मू, कठुआ और सांबा में खराब मौसम के कारण गेहूं की फसल देर से बीजी गई थी. बीजाई के बाद से ही बारिश का सिलसिला जारी है. इस कारण खेतों में पानी भरा हुआ है. जंहा बीते मंगलवार को फिर बारिश होने के कारण खेत पूरी तरह से पानी से तर हो गए हैं. इस कारण अब गेहूं की पैदावार काफी प्रभावित होगी. कृषि विवि के अनुसार फसल की पैदावार में पांच से दस फीसदी गिरावट आती जा रही है. ज्यादा नमी के कारण पौधे जमीन से बाहर नहीं आ पाएंगे. आगामी 15 दिनों तक बारिश नहीं होनी चाहिए.
जंहा इस बात का पता चला है कि बारिश न होने पर ही पैदावार की उम्मीद की जा सकती है. वहीं दूसरी तरफ कंडी इलाकों में बारिश गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित होगी. कंडी इलाकों में गेहूं की बीजाई समय पर हो चुकी है. खेतों में गेहूं के पौधे निकल आए हैं. इस समय बारिश की जरूरत है. बारिश होने से पैदावार की लिए अच्छी नमी हो जाएगी. पहाड़ी इलाकों में बारिश से दस से 15 फीसदी पैदावार में बढ़ोतरी होगी.
मैदानी इलाकों में पहले तूफान और बारिश के कारण बासमती की फसल खेतों में पड़े-पड़े ही खराब हो गई थी. दिसंबर के बीच में खेतों को साफ किया गया. जनवरी के पहले सप्ताह में गेहूं की बीजाई हुई है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खेतों से पानी की निकासी होना बहुत जरूरी है. एडवाइजरी के माध्यम से भी किसानों को खेतों से पानी की निकासी करने की सलाह दी गई है. ज्यादा बारिश खेतों को प्रभावित कर सकती है.
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