आखिर क्या है शकर की चाशनी से बनी मीठी माला का राज
आखिर क्या है शकर की चाशनी से बनी मीठी माला का राज
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दमोह: प्रदेश के बुंदेलखंड में होली के पर्व से जुड़ी अनूठी परंपरा को निभाया जाता है. वहीं, दमोह जिले में शकर की चाशनी से बनी माला का निर्माण किया जाता है. यह मान्यता है कि इस माला से दो लोगों के बीच चल रहा सदियों का बैर थोड़ी ही देर में खत्म हो जाता है. इस माला का निर्माण साल में केवल एक बार होली के त्योहार पर ही किया जाता है.

यह परंपरा काफी पुरानी मानी जाती है यह मान्यता है कि कितना ही पुराना बैर क्यों न हो, यदि एक पक्ष सामने आकर विरोधी पक्ष को तिलक लगाकर शकर की माला पहना दे तो दूसरा पक्ष भी अपनी तरफ से बैर खत्म कर देता है. इस माला का निर्माण करने वाले स्टेशन चौराहा निवासी रमेश नेमा ने यह बताया कि माला बनाने का काम पुश्तैनी है.

रमेश नेमा ने यह जानकारी दी है कि उनकी तीसरी पीढ़ी इस मीठी माला को बना रही है. शकर की चाशनी को धागे के साथ सांचे में भरकर सूखने रख दिया जाता है और जब चाशनी सूख जाती है तो इन सांचों को खोल दिया जाता है. इससे यह माला तैयार हो जाती है.

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