नई दिल्ली: संसद की जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति ने सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि सरकार को पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते पर बातचीत करना चाहिए। बता दें कि 1960 का यह समझौता दोनों देशों के बीच पानी के विभाजन पर आधारित था और इसमें जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव जैसे विषय शामिल नहीं है। अब यह मुद्दे बेहद महत्वपूर्ण हैं और उनको भी चर्चा के दायरे में लाना चाहिए।
लोकसभा में पेश की गई संसद की जल संसाधन संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि यह संधि समय की कसौटी पर खरी उतरी है। समिति का कहना है कि संधि को वर्ष 1960 में समझौते के उस वक़्त की जानकारी और प्रौद्योगिकी के मुताबिक बनाया गया था। उस वक़्त दोनों देशों का दृष्टिकोण बांधों, नहरों के निर्माण, विद्युत ऊर्जा के उत्पादन के जरिए नदी प्रबंधन तथा पानी के इस्तेमाल तक ही समिति था।
समिति ने कहा कि मौजूदा समय में जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान, पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन आदि महत्वपूर्ण विषय हैं, जिन्हें उस वक़्त संधि में शामिल नहीं किया गया था, इसलिये संधि पर पुन: विचार विमर्श करने की जरुरत है। इसको ध्यान में रखते हुए समिति इस जल संधि पर भारत सरकार से पाकिस्तान के साथ पुन: बातचीत करने के लिये कूटनीतिक उपाय करने का अनुरोध करती है। समिति ने सिफारिश की है कि संधि के प्रावधानों के मुताबिक, पानी के भंडारण समेत पश्चिमी नदियों से सिंचाई और विद्युत ऊर्जा क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल और पानी का पूर्ण उपयोग करने के लिये सिंधु जल संधि के प्रावधानों की व्यवहार्यता की जांच करनी चाहिए।
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