मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज मिले है. वहीं शहर के कुछ इलाकों में कोरोना के थोकबंद संक्रमित मिल रहे हैं. कोरोना के हॉट स्पॉट बन चुके शहर में 882 मामले सामने आने के बाद अब प्रशासन ने भीलवाड़ा मॉडल लागू करने का निर्णय लिया है. इसमें अगले सप्ताह तक आधे शहर की स्क्रीनिंग करने पर फोकस किया गया है. यदि यह प्लान 26 मार्च को ही अपना लिया जाता, जब कोरोना संक्रमण के केस शहर में आने लगे थे तो इतने संक्रमित नहीं मिलते. पिछले एक सप्ताह में प्रशासन ने एक लाख घरों का सर्वे किया.
आपको बता दें की यह सर्वे रानीपुरा, खजराना, टाटपट्टी बाखल, चंदन नगर, मोती तबेला, बंबई बाजार व आसपास के क्षेत्रों में किया गया. यहां मिले संदिग्धों के सैंपल स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए भेजे हैं. अब प्रशासन ने तैयारी की है कि सर्वे पूरे 85 वार्डों में हो. इसके लिए सर्वे टीम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. अभी तक सर्वे में महिला बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया था, लेकिन अब अन्य विभागों से भी कर्मचारी मांगे गए हैं. इसके बाद पूरा अमला मैदान में उतरेगा और हर घर का सर्वे होगा. इस तरह पूरे शहर की स्क्रीनिंग की पहले से प्रशासन ने कोई तैयारी नहीं की. पूरे शहर का सर्वे कराने का फैसला मार्च के अंतिम सप्ताह में कर लिया जाता तो अभी तक शहर में कोरोना काबू में आ जाता, लेकिन अब लगातार अलग-अलग इलाकों से संक्रमित सामने आ रहे हैं. शहर में 200 से ज्यादा कंटेनमेंट क्षेत्र बन चुके हैं.
अगर भीलवाड़ा मॉडल की बात करें तो मार्च में भीलवाड़ा में कोरोना के 27 मामले सामने आ चुके थे. शुरुआत एक प्राइवेट अस्पताल से हुई थी. प्रशासन ने उस इलाके में आवाजाही बंद कर दी जहां संक्रमित मिले थे. इसके बाद दो हजार दल बनाए और पूरे शहर में स्क्रीनिंग शुरू कराई गई. पहले दौर का सर्वे पूरा होने के बाद फिर स्क्रीनिंग कराई गई. इसके लिए टीमों की संख्या छह हजार कर दी गई और नौ दिन में 24 लाख लोगों की स्क्रीनिंग कराई गई, जबकि इंदौर में सप्ताहभर में छह लाख लोगों का ही सर्वे कर पाए हैं.
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