जीवन के अंतिम दिनों में अकेली थीं काजोल की दादी
जीवन के अंतिम दिनों में अकेली थीं काजोल की दादी
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साल 1995 में आई ब्लॉकबस्टर फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया' में कालेज की दादा बनी अभिनेत्री अचला सचदेव ने फ़िल्मी दुनिया में अपनी पहचान साल 1965 में फिल्म 'वक़्त' से बनाई थी जिसमें वो उस दौर के मशहूर अभिनेता बलराज साहनी के ऑपोसिट उनकी पत्नी के रूप में नज़र आईं थीं. बॉलीवुड का सबसे लोकप्रिय गाना 'ये मेरी ज़ोहरा जबी'  भी इसी फिल्म में उनके ऊपर फिल्माया गया था. अचला सचदेव का जन्म 3 मई 1920 को पेशवार (पाकिस्तान) में हुआ था.

अचला सचदेव मेरा नाम जोकर, आग, सपनों का सौदागर, मंज़िल, कोरा कागज़, अलबेला जैसी फिल्मों में अचला सचदेव नज़र आ चुकी हैं. अचला ने अपनी जीवन में लगभग 130 में काम किया. 

अचला सचदेव आखरी बार ऋतिक रोशन की 2002 में आई फिल्म 'न तुम जानो न हम' में नज़र आईं थीं. जिसके अलावा वो साल 2001 में आई फिल्म 'कभी ख़ुशी कभी ग़म' में अमिताभ बच्चन की मां के किरदार में नज़र आईं. अंतिम दिनों में अचला सचदेव लकवा से जूझ रही थीं. और 30 अप्रैल साल 2012 को उनका 91 साल की उम्र में पुणे में निधन हो गया था. अचला सचदेव अकेलेपन में हुई थी उनके अंतिम दिनों में उनके पास न तो उनकी बेटी थी और न ही बेटा दोनों विदेशों में थे. जब तक वो अस्पताल में पहुंचें उनकी मौत हो चुकी थी. 

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