कल है महालक्ष्मी व्रत, जानिए सही पूजन विधि और मंत्र
कल है महालक्ष्मी व्रत, जानिए सही पूजन विधि और मंत्र
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आप सभी को बता दें कि इस बार श्री महालक्ष्मी व्रत 2 अक्टूबर यानि मंगलवार को है और श्री महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से ही कर दिया जाता है और यह व्रत सोलह दिनों तक चलता रहता है. ऐसे में इस व्रत पर धन की देवी मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और व्रत संकल्प के समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है.

करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा ।

तदविघ्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत: ।।

इस मंत्र को बोलकर अपने हाथ की कलाई में डोरा बांध लेंलेना चाहिए और ध्यान रहे उसमे 16 गांठे लगी हो. इसी के साथ यह व्रत प्रतिदिन आश्चिन मास की कृ्ष्ण पक्ष की अष्टमी तक किया जाता है और सोहलवे दिन व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाकर उसमें लक्ष्मी जी की प्रतिमा रखकर श्री लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए. इसके बाद सोलह प्रकार से पूजन करके व्रतधारी व्यक्ति को चार ब्राह्मण और 16 ब्राह्मणियों को भोजन करवाना चाहिए और उन्हें दान-दक्षिणा देनी चाहिए.

इसी के साथ व्रत पूरा हो जाता है. अब सोलहवे दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन कर देना चाहिए. वहीं अगर कोई व्रतधारी किसी कारणवश इस व्रत को सोलह दिनों तक न कर पाए तो केवल तीन दिन तक भी इस व्रत को कर सकता है लेकिन इसमें पहले, आठवें और सोलहवें दिन यह व्रत किया जा सकता है. कहते हैं कि इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है आप केवल दूध, फल, मिठाई आदि का सेवन कर सकते हैं.

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