मुंबई: बॉलीवुड में 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' कई मायनों में एक लीक से हटकर फिल्म है। समलैंगिक संबंध हिंदी सिनेमा में पहले भी फायर, कपूर एंड संस, माई ब्रदर निखिल, अलीगढ़ और 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा' जैसी फिल्मों में दिखाए जा चुके हैं। किन्तु, इस फिल्म में किरदार किसी प्रकार के अपराधबोध से ग्रसित नहीं हैं। फिल्म हास्य से अधिक व्यंग्य परोसती है और ये व्यंग्य मुख्य कलाकारों को साथी कलाकारों से मिलने वाली प्रतिक्रिया से पैदा होती है।
आयुष्मान खुराना की अब तक की फिल्मों के कामयाब होने के पीछे एक बड़ा कारण युवाओं का उनके प्रति आकर्षण रहा है और इसी को परखने की कसौटी है उनकी नई फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान। वीर्यदाता बेरोजगार से लेकर यौन शिथिलता जैसे विषयों पर फिल्में कर चुके आयुष्मान की फिल्म को लेकर इसके निर्माता जितने अधिक सतर्क रहे हैं, उसकी आवश्यकता नज़र नहीं आती है। शुभ मंगल ज्यादा सावधान की कहानी कार्तिक और अमन के प्यार में पड़ने की कथा नहीं है। हालांकि, कहानी दोनों के प्यार से ही आरंभ होती है।
फिल्म की असली पटकथा है इन दोनों के प्यार में होने का पता चलने के बाद इन दोनों के परिवारों में मचने वाले कोहराम की। फिल्म की बेहतर कहानी और इसका चुस्त संपादन इसे एक कालजयी मूवी बना सकता था। मगर, शुभ मंगल ज्यादा सावधान को अपने दौर का मील का पत्थर बनाने में आयुष्मान और उनके साथी कलाकार जितेंद्र ने पूरी ताकत झोंक दी है। फिल्म समीक्षकों ने इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार दिए हैं।