संसद की गलियों का यह नजारा था । घूमने का बना कार्यक्रम हमारा था । एक नेता श्रीमान जोर जोर से चिल्ला रहे थे। भगवान को खरी-खोटरी सुना रहे थे । कह रह थे हे ईश्वर मैने ऐसा कौन सा पाप किया। जो आपने मेरे खाते में एक भी घोटाला नहीं दिया। हे लक्ष्मीपति!किस तरह आपने मेरी किस्मत को रचा है? क्या मेरी किस्मत को एक भी घोटाला नहीं बचा है? हे कृपालु!अब कृपा अपनी मुझ पर बरसाइये। मेरी किस्मत पर अब द्वारा कलम चलाइए । मेरे लगाये आरोपों को नजरअन्दाज कीजिए। मेरे खाते में दुनिया का सबसे बडा घोटाला दीजिए।