लॉकडाउन के बीच नागपुर के भानोली गांव की तीन साल की एक बच्ची ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) को देखते ही अपने घर की ओर यह कहते हुए भागती है कि मम्मी पैसे वाले आ गए, पैसे वाले आ गए... किसानों की आत्महत्याओं के लिए बदनाम विदर्भ की इस कन्या के मन में यह उम्मीद इसलिए जगी, क्योंकि उसने जीडीएस को अपनी मां सहित कई और ग्रामीणों को पैसे बांटते देखा है. यह उम्मीद इस मासूम से लेकर 91 साल की दादी चंद्रभागा आंबेकर तक के मन में इन दिनों जगी है, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों की 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर' योजनाओं के पैसे कोरोना संकट के दौरान भी उन्हें घर बैठे मिल रहे हैं.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि नागपुर की मौदा तहसील के वाकेश्र्वर गांव के सरपंच रामश्री गजभिए कहते हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, गांव से पांच किलोमीटर दूर स्थित एकमात्र बैंक सिर्फ दो बजे तक खुलता था. लोग पैसा निकालने के लिए सुबह से लाइन में लगते थे. ज्यादातर को निराश होकर खाली हाथ वापस लौटना पड़ता था. गांव में आकर पैसे का वितरण करने वाले बैंक के स्टाफ ने भी हाथ खड़े कर दिए थे. ऐसे में सहारा बने इंदौरा पोस्ट ऑफिस के जीडीएस बाबूसिंह नाकोरिया, जिन्होंने डीबीटी योजनाओं के पैसे ग्रामीणों तक आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एईपीएस) के जरिए पहुंचाने शुरू किए. सरपंच गजभिए भावुक होकर कहते हैं कि यदि ऐसे आड़े वक्त में डाक विभाग इस प्रकार साथ खड़ा न होता तो लोगों के भूखों मरने की नौबत आ जाती.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि किराना दुकानदार बद्रीनारायण सपाटे बताते हैं कि उनका सीसी खाता बैंक में है. लेकिन अब तो उन्हें बैंक जाने की जरूरत ही महसूस नहीं होती. क्योंकि पोस्टमैन बाबू 24 घंटे सर्विस देने को हाजिर रहते हैं. उनका पैसा निकालने, जमा करने और ट्रांसफर करने का काम ग्रामीण डाक सेवक ही कर देते हैं. वही, विदर्भ क्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल (पीएमजी) जयभाई रामचंद्र बताते हैं कि विदर्भ के चंद्रपुर डिवीजन, यवतमाल डिवीजन और नागपुर के गोंदिया सब डिवीजन आदि सभी क्षेत्रों में जनधन योजनाओं में सरकार द्वारा भेजे गए पैसों का सीधा लाभ एईपीएस के जरिए ग्रामीणों को प्राप्त हुआ है. इंदौरा डाकघर के जीडीएस बाबूसिंह नाकोरिया बताते हैं कि पीएम किसान सम्मान योजना, पीएम आवास योजना, मनरेगा, श्रवण बाल योजना, निराधार योजना और स्कूल के वजीफे जैसी बैंक में आनेवाली सभी राशियों के पैसे वह ग्रामीणों को घर-घर जाकर बांट रहे हैं. रामचंद्र के अनुसार पूरे विदर्भ क्षेत्र में उनके जीडीएस लॉकडाउन की अवधि के दौरान गांवों में बड़ा सहारा बनकर अवतरित हुए हैं.
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