May 24 2016 08:30 PM
ललितपुर: क्या आप सोच सकते है कि किसी का गुजारा खाना की बजाए मिट्टी खाकर हो सकता है. हे न यह चौंकाने वाली बात, लेकिन बुंदेलखंड के ललितपुर में एक महिला ऐसी भी है, जो पिछले 12 वर्षो से मिट्टी खाकर ही जीवित है. सहरिया आदिवासियों की अलग से बसी बस्ती में रहती है शकुर रायकवार।
पिछले कई वर्षो से इनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. पांच साल पहले ही पति की मौत हो चुकी है. उनके दो बच्चे तो है, लेकिन वो कहां है उन्हें पता नहीं है. वे भी मांग-मांग कर खाते है और जीवित है. पूरे सहरिया समुदाय की खुद की हालत ऐसी नहीं है कि इस महिला का भरण-पोषण कर सके।
स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने सूखा, पलायन, भूखमरी और किसानों की आत्महत्या से पस्त बुंदेलखंड पर रिपोर्ट लिखी तब शकुन की कहानी भी सामने आई. कई बार लोग कुछ खाने को दे देते है, तो कई बार वो मिट्टी पर ही जीती है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि पति की मौत के बाद शकुर में इतनी ताकत नहीं बची कि वो खेती करे. शकुर कहती पेट में भी बहुत दर्द होता बार-बार शौच के लिए जाना पड़ता है. रोटी भी अब नहीं पचता है।
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