नई दिल्ली: भारत विरोधी गतिविधियों और पूरे विश्व में खालिस्तानी चरमपंथियों के प्रचार के खिलाफ विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा जारी की गई एक चेतावनी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर वायरल किया जा रहा है. हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है ये पत्र फर्जी है. इस मामले से जुड़े लोगों ने मंगलवार को इस संबंध में जानकारी दी है. अधिकारियों ने कहा कि विदेश मंत्रालय द्वारा ऐसा कोई भी भी पत्र जारी नहीं किया गया है.
दरअसल, वायरल हो रहे पत्र को लेकर कहा गया कि इसे विदेश मंत्रालय द्वारा आठ नवंबर को कथित रूप से जारी किया गया था. इसके बाद यूज़र्स द्वारा नकली पत्र को सोशल मीडिया पर जमकर शेयर किया गया. कथित पत्र में सिख चरमपंथियों द्वारा पैदा हुए खतरे का सामना करने के उपायों के बारे में बात की गई थी. सुरक्षा एजेंसियों को पत्र बनाने में पाकिस्तान का हाथ होने का शक है. दरअसल, किसान आंदोलन के दौरान खालिस्तान समर्थक तत्वों के माध्यम से पाकिस्तान मौके का लाभ उठाना चाह रहा था. गत माह मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि एक खुफिया इनपुट आया है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) संसद भवन का घेराव कर उस पर खालिस्तान का झंडा फहरा सकता है. इसके बाद इस संबंध में एक अलर्ट जारी किया गया था. खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस समेत अधिकारियों को अलर्ट रहने और संसद के आसपास व्यापक सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए कहा है.
दरअसल, SFJ के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने यूट्यूब पर एक वीडियो जारी करते हुए किसानों से संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इसका घेराव करने और खालिस्तान का झंडा फहराने का आह्वान किया था. पन्नू ने वीडियो में ऐलान किया था कि संसद पर खालिस्तान का झंडा फहराने वाले को 1,25,000 डॉलर का इनाम मिलेगा. अक्टूबर में, ब्रिटेन स्थित SFJ ने यह निर्धारित करने के लिए एक तथाकथित जनमत संग्रह का आयोजन किया कि क्या खालिस्तान को पंजाब से अलग किया जाना चाहिए.
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