Birthday Special : 'संगीत कानो से नही दिल से सुना जाता है'
Birthday Special : 'संगीत कानो से नही दिल से सुना जाता है'
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संगीत की दुनिया में ए आर रहमान को किसी पहचान की जरूरत नहीं है. ए आर रहमान कन्नड़, तमिल, मलयालम और तेलुगु फिल्मो के लिए अपना संगीत देते है. रहमान हिंदी नही जानते है लेकिन हिंदी भाषा की फिल्मो के लिए भी संगीत देते है. रहमान ने इस बात को साबित किया है कि संगीत किसी भाषा का मोहताज नही है संगीत को कानो से नही दिल से सुना जाता है.

रहमान ने पहली हिंदी फिल्म 'रोजा' में अपना संगीत दिया था. ए आर रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को चेन्नई में हुआ था. रहमान के पिता आर के रहमान मलयालम फिल्मो में अपना संगीत देते थे. जब रहमान बहुत छोटे थे तब उनके पिता की मौत हो गई थी. उस समय वे सिर्फ 9 वर्ष के थे. रहमान ने अपने संगीत के यंत्रो को किराये पर देकर अपना घर चलाया है. रहमान ने अपने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से ली है.

रहमान कला और टेक्नोलॉजी का बहुत अच्छा संगम मानते है. ए आर रहमान ने अपने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ़ म्यूजिक से पूरी की है इस कॉलेज से उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली है. 1991 में रहमान ने अपने घर के पीछे एक स्टूडियो भी शुरू किया था. ए आर रहमान को हिंदुस्तानी संगीत में महारत हासिल है. रहमान ने पहले परम्परागत संगीत से ही शुरुवात की थी.

बाद में उन्होंने फ्यूजन संगीत की और झुकाव किया. रहमान सूफीवाद के कारण ही संगीत की गहराई को जान पाये है. रहमान का ऐसा मानना है कि भारत देश में युवा को कोई भी आगे बढ़ने से नही रोक सकता है. ए आर रहमान को संगीत जगत में कई अवार्ड मिल चुके है. उन्हें चार बार संगीत के लिए राष्ट्रिय पुरस्कार भी मिल चूका है. 11 बार फिल्म फेयर अवार्ड, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर अवार्ड, पद्मश्री अवार्ड मिल चूका है.

रहमान की हिंदी लोकप्रिय फिल्मे है नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस, कभी ना कभी, मंगल पांडे, लगान, पुकार, जुबेदा, रंग दे बसंती, जोधा अकबर और गजनी है. रहमान का नाम महान संगीतकारों में लिया जाता है.

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