दूरसंचार सेवा प्रदाताओं का कहना है कि व्हाट्सएप, गूगल मीट, और टेलीग्राम जैसे इंटरनेट कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप को भी उसी तरह के नियमों का पालन करना चाहिए जैसे अन्य दूरसंचार कंपनियों को करना पड़ता है।
सीओएआई ने उठाया मुद्दा
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सोमवार को कहा कि ओवर-द-टॉप (OTT) संचार ऐप्स को दूरसंचार अधिनियम, 2023 से बाहर करने की मांग भ्रामक है। यह अधिनियम दूरसंचार कंपनियों पर लागू होता है और इसलिए ये ऐप्स भी नियमों के दायरे में आते हैं। सीओएआई के सदस्यों में रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, और वोडाफोन आइडिया जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।
सीओएआई के महानिदेशक की राय
सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर ने कहा कि देश की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस संबंध में सभी संचार सेवा प्रदाताओं को देश के निर्देशों का पालन करना चाहिए, जैसा कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने वैध इंटरसेप्शन और निगरानी के लिए भारी निवेश किया है, जबकि अनियमित ऐप्स इस तंत्र को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देती हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।
एस पी कोचर ने बताया कि मामला दूरसंचार अधिनियम, 2023 के तहत नियामकीय निगरानी से संबंधित है। यह महत्वपूर्ण है कि दूरसंचार कंपनियां, जो इस अधिनियम के तहत आती हैं, संसद द्वारा निर्धारित सभी नियमों का पालन करती हैं।
दूरसंचार कंपनियों की मांग
दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि सरकार को कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप्स पर भी वही नियम लागू करने चाहिए जो दूरसंचार कंपनियों पर लागू हैं। इससे सभी सेवा प्रदाताओं के लिए समान नियम और हालात सुनिश्चित होंगे।
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