माँ ने कहा -श्रेष्ठ पुत्र  में दिखता है  सेवा का भाव
माँ ने कहा -श्रेष्ठ पुत्र में दिखता है सेवा का भाव
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एक पनघट पर कुछ स्त्रियां पानी भर रही थी.उसी वक्त वे अपने अपने पुत्रों के बारे में कुछ वार्तालाप करने लगी वे अपने पुत्रों के गुणों का गान करने लगीं.

उसी वक्त एक स्त्री बोली - 

बहनो, तुम्हें में क्या बताऊं तुम बोलोगी की झूट बोल रही है. मेरा लड़के का कंठ इतना अधिक सुरीला है. कि जब भी वह गाता है तो ऐसा प्रतीत होता है. मानो बाग में कोयल कूक रही हो। उसकी आवाज सुन लोग भ्रमित हो जाते है .

उसकी बात सुन दूसरी स्त्री अपने पुत्र की विशेषता का बखान करते हुए कहती है.की में आप लोगो को क्या बताऊँ मेरा बेटा तो भीम की तरह बलशाली है। उसके पास इतनी अधिक ताकत है. की उसे कोई हरा ही नहीं सकता है . 

फिर तीसरी स्त्री बोली - मेरा बेटा तो इतना तेज दौड़ता है. की उसका कोई पीछा ही नहीं कर सकता है .

उस वक्त एक चौथी स्त्री उन सभी के द्वारा किये गए अपने - अपने पुत्रों के गुणों का बखान चुप चाप सुन रही थी. तब तीनों ने उससे पूछा - बहन, तुम भी अपने पुत्र के बारे में कुछ तो बताओ तुम चुप क्यों हो तुम्हारे पुत्र में भी कुछ न कुछ तो होगा.इस पर वह बोली मेरे पुत्र में ऐसी कोई बड़ी विशेषता नही है. जो में आप लोगों को सुनाऊँ मेरा बेटा बहुत सीधा सा है। 

अब वे सभी स्त्रियां , अपने-अपने घड़े में पानी भरकर घर की ओर चल पड़ीं। उन सभी के पीछे एक वृद्ध भी चला जा रहा था, जिसने पनघट पर इन स्त्रियों के बीच हुई सारी वार्तालाप को सुन लिया था । उसी वक्त रास्ते में एक युवक गाता हुआ चला आ रहा था वह पहली स्त्री का पुत्र ही था। उसकी आवाज वास्तव में बहुत मीठी थी। उस स्त्री ने बड़े गर्व के साथ अपने उस पूत की ओर देखा ओर चल रही बाकी स्त्रियों से बोली - देखा मेरे पुत्र को ?

कुछ देर बाद दूसरी स्त्री का पुत्र आता हुआ दिखाई दिया। वह मतवाले हाथी की तरह झूमता हुआ चला आ रहा था। दूसरी स्त्री ने अभिमान से कहा - यही मेरा पुत्र है।वह युवक उसी तरह मस्तानी चाल चलते हुए आगे निकल गया। 

इसी बीच तीसरी स्त्री का पुत्र भी वहां से गुजरा वह तेजी से भागता हुआ दिखाई पड़ा । उसे देख तीसरी स्त्री बोली - यही है मेरी आंखों का तारा मेरा प्यारा बेटा .

तभी अचानक रास्ते में चौथी स्त्री का भी पुत्र आता हुआ दिखाई दिया। वह बड़ी ही सादगी के साथ शांत मन चला आ रहा था।और नजदीक आकर उसने अपनी मां के सिर से पानी भरा घड़ा उठाया और अपने सिर पर रखते हुए बोला - 'मां, मेरे रहते हुए तुम क्यों तकलीफ करती हो। मैं इस घड़े को घर तक लेकर चलता हूं। में तुम्हे कभी परेशान देखना नहीं चाहता . 

उसकी इस अच्छाई को देख साथ में चल रही वे स्त्रियां धीरे -धीरे आपस में कहने लगीं की बड़ा आया हेल्प करने वाला और हस्ते हुए कहने लगीं की ओरतों के काम करेगा .और उन स्त्रियों ने साथ चल रहे उस बुजुर्ग से पूछा - बाबा आपने हम चारों के पुत्रों को देखा। अब आप ही बताएं कि हम में से किसका पुत्र सर्वश्रेष्ठ है।

इस पर वृद्ध ने जवाब दिया - मेरी राय में चौथी स्त्री का पुत्र सर्वश्रेष्ठ है। भले ही उसमें तुम तीनों के पुत्रों की तरह कोई विशेष खूबी न हो, पर उसकी सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह अपने बड़ों की सेवा करना जानता है। इस जगत में सेवा का भाव सबसे बड़ा होता है. चाहे व्यक्ति किसी की भी सेवा करे अपनों की या पराय की. सेवा का भाव सबसे बड़ा होता है चौथी स्त्री का पुत्र बड़ा ही संस्कारिक है. उसकी भावना विशुद्ध है.

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