गरीब परिवार की दुख भरी दास्तां सुन रो देंगे आप
गरीब परिवार की दुख भरी दास्तां सुन रो देंगे आप
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गोरखपुर: अब इस बात को लॉकडाउन के कारण एक गरीब परिवार की मजबूरी बोल ले या फिर उसकी ग़ुरबत, गोरखपुर के रहने वाली गरीब मजदूर की बीते दिन चिकन पॉक्स के कारण जान चली गई. जिसके बाद बड़ी परेशानी के बाद पुलिस ने किसी तरह से उसके परिवार को संपर्क किया और उसके मौत की खबर दी. लेकिन  गरीब पत्नी के पास पति की लाश ले जाने के लिए पैसे नहीं थे, ऊपर से लॉकडाउन जैसी बड़ी परेशानी के चलते पत्नी ने ग्राम प्रधान व अन्य लोगों से मदद मांगी, लेकिन उसके हाथ कुछ न लगा. बेबस होकर पत्नी ने पति की जगह उसके पुतले का गांव में अंतिम संस्कार कर दिया.  इसके साथ तहसीलदार से दिल्ली पुलिस को मैसेज भिजवा दिया कि पुलिस उसके पति का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही कर दे. हो सके तो अस्थियां पीड़ितों के गांव भेज दी जाए. अब दिल्ली पुलिस भी पशोपेश में है. फिलहाल मजदूर के शव का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है.

मिली जानकारी के अनुसार मूल रूप से गांव डुमरी-खुर्द, चौरी-चौरा (गोरखपुर) निवासी मजदूर दिल्ली के भारत नगर स्थित प्रताप बाग इलाके में किराए के मकान में रहता था और यही मजदूरी कर रहा था. परिवार में पत्नी, चार बेटियां और एक साल का बेटा है. मजदूर की बड़ी बेटी 10 साल की है. वहीं गांव में उसकी कोई जमीन नहीं है और परिवार झोपड़ी में रहता है. लॉकडाउन की वजह से मजदूर दिल्ली में ही फंस गया. इस बीच उसे चेचक हो गया. 11 अप्रैल 2020 को तबीयत बिगड़ी तो स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उसे बाड़ा हिंदूराव अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां से उसे अलग-अलग तीन अस्पताल में रेफर किया गया. सफदरजंग अस्पताल में 14 अप्रैल 2020 को मजदूर की मौत हो गई. उसकी कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आई. 

वहीं यह भी कहा जा रहा है कि परिवार मजदूर को फोन करता रहा, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई. क्योंकि, वह अस्पताल में जिंदगी-मौत से लड़ रहा था और मोबाइल उसके कमरे पर था. लगातार फोन आने की वजह से मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई. पुलिस ने मोबाइल को चार्ज किया. सूत्रों का कहना है कि इस बीच उसके घर से कॉल आई तो पुलिस ने मजदूर की पत्नी को उसकी मौत की खबर दी. जंहा आग्रह किया कि वह शव को दिल्ली आकर ले जाए. यह सुनते ही बिलख उठी, लेकिन उसके पास इतने रुपये नहीं हैं कि वह दिल्ली आकर लाश ले जा सके. कोई उसकी मदद को भी तैयार नहीं हुआ. मजबूर होकर ने तहसीलदार के जरिए संदेश भिजवाकर मजदूर का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही करने के लिए कह दिया. ने मजदूर के शव की जगह उसका पुतला बनवाकर एक साल के बेटे से अंतिम संस्कार करा दिया.

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