महिला सम्मान प्रकोष्ठ : न कोई कार्यालय, न ही कोई कर्मचारी
महिला सम्मान प्रकोष्ठ : न कोई कार्यालय, न ही कोई कर्मचारी
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बीते साल के अगस्त महीने में महिलाओं, नाबालिग बच्चियों व मासूमों के साथ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने और उनके आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करवाने के लिए पुलिस महकमे में महिला सेल को और ताकतवर बनाते हुए जिस महिला सम्मान प्रकोष्ठ का गठन किया गया था, आज वह अपने हालात पर रो रहा है। इस सेल को सुरक्षा के साथ महिलाओं से जुड़े अन्य मामलों जैसे भ्रूण हत्या, देहातों में शौचालयों की कमी जैसे सामाजिक मुद्दों पर कार्रवाई में भी मदद करनी थी।

इसके साथ ही जिलों की मानव तस्करी रोधी यूनिट और वूमेन पावर लाइन 1090 की नोडल एजेंसी भी इसी प्रकोष्ठ को बनाया गया था। डीजीपी के नेतृत्व में एडीजी स्तर के अधिकारी को इसका प्रमुख बनाया गया था तब मुख्यमंत्री अखिलेश ने घोषणा की थी कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों व उत्पीड़न के मामलों की संवेदनशीलता और उनकी रोकथाम के लिए ही इस प्रकोष्ठ का गठन किया गया है, लेकिन अब आरटीआई के तहत सामने आयी हकीकत से ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं।

महिला सम्मान प्रकोष्ठ के संबंध में अखिलेश सरकार के दावे हकीकत से बिल्कुल विपरीत हैं। यह खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बीते साल 30 अगस्त को गृह विभाग के जन सूचना अधिकारी को एक अर्जी देकर उत्तर प्रदेश के महिला सम्मान प्रकोष्ठ की गतिविधियों के संबंध में जानकारी मांगी थी। महिला सम्मान प्रकोष्ठ के जन सूचना अधिकारी ने इसका जो जवाब दिया है, वह चैंकाने वाला है। बताया गया है कि 30 अगस्त, 2014 तक महिला सम्मान प्रकोष्ठ का न तो कोई कार्यालय था और न ही कोई कर्मचारी।

यह भी बताया गया कि अब भी महिला सम्मान प्रकोष्ठ में कोई भी नियमित कर्मचारी नहीं है और मात्र कुछ लोग यहां संबद्ध किए गए हैं। और तो और, आरटीआई एक्ट में 30 दिनों में सूचना देने की बाध्यता होने पर भी महिला सम्मान प्रकोष्ठ के जन सूचना अधिकारी ने महिला सम्मान जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सूचना मांगे जाने के साढ़े आठ माह बाद और 2 माह के अतिरिक्त समय की मांग की है। खास बात है कि अपर पुलिस महानिदेशक-मानवाधिकार सुतापा सान्याल इस महिला सम्मान प्रकोष्ठ की प्रभारी भी हैं।

ऐसे में एक महिला होते हुए भी उनके नेतृत्व में आधे साल से अधिक समय बीत जाने पर भी इस प्रकोष्ठ को जमीनी स्तर पर कार्यशील बनाने की पहल न होना और शर्मसार करने वाला है। संजय शर्मा अब अपने संगठन के जरिए राज्यपाल राम नाइक और सूबे के मुखिया अखिलेश यादव को मांग-पत्र भेजकर उत्तर प्रदेश महिला सम्मान प्रकोष्ठ को नियमित कार्यालय, स्टाफ, बजट और अन्य जरूरी संसाधन तत्काल उपलब्ध कराने का आग्रह कर रहे हैं।

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