आखिर मंगल पूजन में क्यों होता है लाल का प्रयोग
आखिर मंगल पूजन में क्यों होता है लाल का प्रयोग
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मंगल ग्रह ज्योतिष मान्यताओं में मंगल ग्रह को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक उग्र ग्रह है। जो कि विजय, शौर्य, विवाह, संपत्ति, भूमि, सैन्य सेवाओं से संबंधित है। हालांकि ज्योतिष में इन्हें पाप ग्रह भी कहा जाता है मगर ये ग्रह पापी नहीं होते हैं। दरअसल मंगल ग्रह का प्रभाव व्यक्ति पर ऐसा पड़ता है कि व्यक्ति को कुछ कार्यों में बाधाऐं जरूर आती हैं। ऐसे में मंगल ग्रह का पूजन महत्वपूर्ण होता है। मंगल देव का पूजन लाल पुष्प, लाल वस्त्र और कंकु से किए जाने का विधान है। दरअसल मंगल की प्रवृत्ति उग्र मानी जाती है और ग्रहों में भी ये रक्तवर्णी आभा लिए हुए हैं। ऐसे में इनका रक्त पुष्प से या लाल रंग की वस्तुओं से किया जाता है।

मान्यता है कि भगवान मंगल का कुमकुम अभिषेक करने से वे प्रसन्न होते हैं और शुभफल देते हैं। विश्व में मंगलनाथ देव का एकमात्र ऐसा मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन में प्रतिष्ठापित है जहां भात पूजन का विधान है। श्रद्धालु यहां भी भगवान मंगलनाथ को लाल वस्तुऐं अर्पित कर मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं। भगवान मंगल को क्रोधी स्वभाव का माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान का कुमकुम से पूजन करने से भगवान मंगलनाथ प्रसन्न होते हैं और इच्छित वर प्रदान करते हैं। यही नहीं यदि आप अपने घर में मंगलवार के दिन प्रातः काल स्नान आदि करने के बाद मंगल यंत्र को जल और दूध से शुद्ध कर विधिवत तरीके से प्रतिष्ठापित करें और प्रतिदिन मंगल यंत्र पर कुमकुम से उसका पूजन करे तो श्रद्धालु के जीवन में बड़े सकारात्मक बदलाव आते हैं। 

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