क्यों मैं कहूँ आज विश्व जनसंख्या दिवस है ?
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क्यों मैं कहुँ आज विश्व जनसंख्या दिवस है, दोस्तों विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है और क्यों नहीं. यह जानकारी तो आपको कही ना कही से मिल ही जायेगी. मेरे ख्याल से देश के नागरिको के इस बहुमूल्य दिवस के बारे में पता ही होगा. बहुमूल्य शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया क्योकि कही ना कही आज भारत देश की तरक्की में इस महत्वपूर्ण दिन का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप मूवी की टिकट को लेने के लिये लाइन में खड़े हो और जब तक आपका नंबर आता है तो टिकट वाला आपको हॉउस फुल का साइन दिखा कर वापस लौटा देता है. या फिर घंटो राशन की लाइन में लगने के बाद कन्ट्रोल वाला आपका नंबर आते ही वो यह कह दे कि भाई अब टाइम खत्म हो गया है, कल आना. हम गर्मी के समय में पानी ख़त्म हो जाने पर आप पानी का टेंकर भी मंगाते है. अगर देश का ही पानी है वो भी. तो पैसे क्यों देते है हम और आप लोग, क्या कभी सोचा है आपने और हमने. 

ये ऐसी घटनाएं है जो रोजमर्रा कि जिंदगी में कभी ना कभी तो आपको देखनी होती है. इसे आप जोड़ सकते है देश की जनसँख्या से, जैसे-जैसे देश की जनसँख्या बढ़ती जायेगी.  वैसे-वैसे लोगो को संसाधनों और सरकार के द्वारा मिलने वाली सेवाओं का अभाव होता ही रहेगा. जिसके कारण कभी आप उससे वंचित रहेंगे नहीं तो कभी में. आज का दिन अपने लिये ना सोचकर के अपने आने वाले बच्चो, देश और भविष्य के बारे में सोचे. मैं शुक्रिया अदा करूँगा दूरदर्शन चैनल वालो का कि उन्होंने कम से कम इस दिवस के उपलक्ष मै कुछ तो कहा. 

ज्यादा भावुक ना बनाते हुये आपको कुछ रोचक जानकारी बताने का प्रयास करुँगा. जैसा की आज पूर्व में बताया गया कि आज विश्व जनसँख्या दिवस है. तो मैंने सोचा चलो यूट्यूब पर इससे रिलेटेड कुछ देखा जाये. लेकिन हमारे मीडिया चैनल रैप, क्राइम, धर्म के प्रति लोगो के कमेंट में ही व्यस्त रहते है. देश के बारे में जागरूकता और चिंता छोड़कर मीडिया अपनी टीआरपी बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दे रही है. धर्म निरपेक्ष भारत देश में धर्म के नाम पर हो रहे दंगे और विवादों को कुछ इस तरह दिखाया जा रहा है. मानो जैसे लोगो को यह शांति सन्देश देने की बजाय भड़काने का सन्देश दिया जा रहा हो. इस तरह के कृत्य के चलते हुये 2016 से लगाकर अब तक भारत देश में बिहार राज्य डेवलपमेंट के मामले में टॉप पर है. ये भी इतनी बड़ी बात नहीं हुई. लेकिन देश और राज्य को चलाने वाले नेताओ भी आज के दिन देश की तरक्की के लिये मीडिया कैमरे के सामने नहीं आये. वही दूसरी और मानो विपक्ष दल के नेताओ भी भारत देश में किसी हादसे और घटनाओ के होने का इंतज़ार कर रहे है. ताकि जैसे ही कुछ हो और उन्हें फिर अपनी आवाज को बुलंद करने का मौका मिल जाये. इन बड़े-बड़े लोगो को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला वैसे भी आने वाले 2 और 3 सालो में हम जनसँख्या के मामले में नंबर 1 जो बन जायेगे. 

जो लोग विश्व जनसख्या दिवस पर बड़े कार्यक्रम करते है और समझते है. वो आज हमारे देश से धन सम्पदा के मामले में आगे है. वहाँ पर गरीबी और भुखमरी भी इतनी नहीं है. देश में सीमित जनसँख्या के चलते सभी लोग संसाधन का पूरा लाभ उठा रहे है. गरीबी, भुखमरी व संसाधन की पूर्ति में लगाने वाला पैसा वहाँ देश के विकास और उसकी तरक्की में लगाया जाता है. लेकिन हमारे देश में गरीबी और भुखमरी तथा संसाधन कि पूर्ति के लिये ही पैसा खर्च कर दिया जाता है.

देश के नागरिक यदि देश की तरक्की करने वाले दिवस जनसँख्या दिवस को महत्वता नहीं देते तो कैसे भारत देश आगे बढ़ेगा. बचपन में यह पढ़ाया जाता है कि किसी से आगे बढ़ने से पहले उससे कन्धा मिलकर चलना सीखे. लेकिन हम इस श्रेणी में ही खुद को नहीं ला रहे है. बात इस दिवस की नहीं है फिर वो मजदूर दिवस, 15 अगस्त या 26 जनवरी हो. मजदूर दिवस पर सरकारी छुट्टी का ऐलान तो होता है. लेकिन निम्न स्तर या प्राइवेट नौकरी करने वाला व्यक्ति मजदूर दिवस पर भी खुल के नहीं मना पाते. मजदूर दिवस पर भी लोग अपने हक़ के लिये तरसते रहते है. वही कुछ कंपनियां भी अपने स्टाफ को ठीक समय पर तनख्वाह नहीं देती है तो छुट्टी की तो बात ही कुछ और है. 

देश के सबसे बड़े दिवस 15 अगस्त और 26 जनवरी पर लोग अपने घर में बढ़िया से छुट्टी मनाते है और अगले दिन के लिये ऑफिस जाने की तैयारी करते है. इस बात पर एक किस्सा याद आ रहा है. मैं सन 2011 में 26 जनवरी के दिन जबलपुर अपने किसी दोस्त से मिलने गया था. जैसा आपको पता है कि 26 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश होता है. लेकिन जबलपुर के चौराहों पर मानो मेला लगा हुआ था या भारत देश की आजादी का बड़ा जश्न मनाया जा रहा था. बड़े चौराहों पर डीजे पर गाने बजाये व मिठाईया बांटी जा रही थी. कुछ लोग होली भी खेल रहे थे. उस समय मुझे लगा की देश के इन दो बड़े त्योहारों को ऐसे ही दिनभर मनाना चाहिये ताकि अगले दिन सड़क पर पड़े गुलाल और फूल देख कर  लोग मजबूर हो जाये पूछने को की क्या भाई ऐसे कौनसा बड़ा त्यौहार था कल.

अपनी व्यस्त जिंदगी से थोड़ा समय निकल कर देश की तरक्की में सहयोगी बनते हुये.देश के ऐसे दिवस को बड़े धूम-धाम से मनाये. ताकि पडोसी मुल्क भी यह सोचने पर मजबूर है जाये कि आज सुबह से भारत देश में क्या है रहा है. क्यों हम देश के ऐसे त्योहारों को होली,दिवाली, मकर सक्रांति या राखी जैसे बड़े धूमधाम से नहीं मानते है. यह एक लेखक के विचारो को आज जनसँख्या दिवस पर बयां किया गया. जाते जाते एक बार फिर यही कहूँगा कि क्यों मै कहुँ कि आज विश्व जनसँख्या दिवस है. 
 

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