'वुमेंस डे' पर ढोंग क्यों?
'वुमेंस डे' पर ढोंग क्यों?
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8 मार्च को महिला दिवस आने वाला है, देश की सरकारें 'वुमेंस डे' के नाम पर ढोंग करती नजर आएगी. 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' के नाम के नारें बुलंद होंगे. ऐसे में क्या यह चीजें हमारी कानून व्यवस्था और हमारी सोच पर सवालिया निशान पैदा नहीं करती. एक तरफ जहाँ हम बेटियों और नारीवाद के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करते है, वहीं हमारी नाक के नीचे छोटी-छोटी बच्चियां बलात्कार की शिकार हो जाती है.

यह बातें कोई हवा में नहीं हो रही है, हाल ही में हरियाणा में आधार बनवाकर लौट रही एक महिला को तीन लोग दिन-दहाड़े किडनैप कर उसके साथ दुष्कर्म को अंजाम दे देते है. वहीं कुछ दिनों पहले राजस्थान में दुष्कर्म से पीड़ित एक गर्भवती महिला अपने गर्भ के साथ कोर्ट के चक्कर लगाकर थक जाती है लेकिन उसको न्याय नहीं मिलता. इतना ही नहीं बेटियों के नाम पर वोट बैंक की राजनीती करने वाले नेता खुद इन मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाने से नहीं चूकते.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विधायक हेमंत कटारे पर हाल ही में एक लड़की से बलात्कार का आरोप लगा है, वहीं रूह कंपा देने वाली एक घटना में केंद्र में मौजूद भाजपा की सरकार के ही एक नेता राजेंद्र नामदेव, जिन्हें न जाने कैसे राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है, ने होटल के कमरे में एसिड अटैक से पीड़ित लड़की के साथ बलात्कार किया. जब एक तरफ हमारे देश की बेटियां ऐसी मानसिकता वाले लोगों का शिकार होती रहती है, उस देश में हम वुमेंस डे मनाने का ढोंग कैसे कर सकते है?

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