आखिर क्यों मंगल को अशुभ माना जाता है?
आखिर क्यों मंगल को अशुभ माना जाता है?
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आमतौर पर हम ज्योतिष के माध्यम से मंगल शब्द ज्यादा सुनते है। वैसे तो मंगल का मतलब कुछ अच्छा होता है, लेकिन वहीं अगर इसकी बात कुंडली पर आ जाये तो इसका मतलब बहुत ही दुखदायी होता है। आज हम यहां पर आपके लिए मंगल गृह से संबधित कुछ ऐसी ही जानकारी लेकर आये हैं, जिससे आप जान सकेंगे कि मंगल कहां पर अच्छा होता है और कहां पर इसका बुरा प्रभाव होता है? जब मगंल 1,4,7,8,12 मे होता है, तो उसका सम्बन्ध सातवें भाव से हो जाता है। सातवाँ भाव वैवाहिक सम्बन्ध जीवन साथी व काम भाव है।

मंगल का प्रभाव - यहाँ मंगल का प्रभाव होने से जातक मे कामवासना अत्यधिक होती है, जिससे सही साथी न मिलने पर जातक बहक सकता है तथा सम्बन्धो मे कटुता हो जाती है, आपसी टकराव हो जाता है, चिड़चिड़ापन हो जाता है। यही मंगल का प्रभाव है। इसलिए लडकी की कुड़ली मे मांगलिक प्रभाव ज्यादा विचारणीय हो जाता है।
 
अब यदि कोई ऐसा ग्रह जो मंगल के प्रभाव को कम कर दे, युति की दृष्टि से तो मांगलिक दोष कम हो जाता है। गुरु शुभ स्थिति मे हो तो मंगल दोष नही रहता है। उसका यही कारण है कि गुरू आध्यात्मिक ग्रह है। जब व्यक्ति मे आध्यात्मिकता होगी, तो वह काम प्रभाव पर नियंत्रण रखेगा, गुस्सा पर काबू रखेगा, परन्तु खराब, दशा महादशा मे मंगल अपना प्रभाव जरूर दिखाता है। इसलिए मांगलिक को विवाह पूर्व कुण्डली अवश्य मिलान करना चाहिए।

 

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