जब शब्द बन गये जीने की वजह....मौसमी सचदेवा
जब शब्द बन गये जीने की वजह....मौसमी सचदेवा
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कहते हैं इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है. क्योकि किसी काम में एक्सपर्ट होना वाकई हमे भीड़ से अलग बना देता है. और कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दिल्ली की रहने वाली मौसमी सचदेवा ने.

मौसमी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद अंग्रेजी में मास्टर की डिग्री ली और इसके बाद मॉस कम्युनिकेशन, जर्नलिज़्म, बी.एड., आई. टी., और फिर CISELT ब्रिटिश कॉउंसिल की पढ़ाई पूरी की. बचपन से ही खुद को अकेला महसूस करने वाली मौसमी ने अपनी भावनाओं को, दर्द को और अकेलेपन को किसी से व्यक्त करने के वजाय इसे शब्दों में पिरोना शुरू किया. और आज वही शब्द कई रचनाओं का भव्य रूप ले चुके हैं जो इनकी किताबों और कविताओं में देखने को मिलता है.

Love Remains Undefined नाम से अंग्रेजी में इनकी एक किताब भी आ चुकी है. जो दो प्यार करने वालों पर आधारित है. आखिर कैसे दो अलग विचारधारा के लोग किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर मिलते हैं और कैसे उनका प्यार एक दूसरे के लिए परवान चढ़ने लगता है. अगर आप भी किसी के सच्चे प्यार को महसूस करना चाहते हैं तो, आपको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए. यह किताब आपको बाजार में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी. इसके अलावा आप इसे अमेज़ॉन से मात्र 199/- रु. में खरीद सकते हैं. मौसमी सचदेवा के इस जज्बे को हम सबका सलाम.

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