जब पहली बार श्री राम मिले थे हनुमान जी से, तो जानिए फिर क्या हुआ
जब पहली बार श्री राम मिले थे हनुमान जी से, तो जानिए फिर क्या हुआ
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हनुमान जी की कीर्ति सारे संसार में फैली हुई है इन्हें सारा जग राम भक्त के नाम जानता है. हनुमान जी की भक्ति अनन्य है उनकी भक्ति एवं उनके आराध्य से उनके प्रथम मिलन की कथाएं सुनने या पढ़ने की तीव्र इच्छा कई लोगों के मन में होती है. आज हम आपको हनुमान जी एवं उनके आराध्य के प्रथम मिलन की मनोहारी कथा आपको बताते है.

वैसे तो आपने श्री राम भगवान एवं हनुमान जी के मिलन की कई पौराणिक कथाएं सुनी होंगी. किन्तु हम आपको महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित ग्रन्थ “रामायण “में दिए गए प्रसंग श्री राम–हनुमान मिलन के बारे में बताएँगे जो पूर्णता सत्य माना जाता है. अन्य सभी कथाओं में क्षेत्रीयता का प्रभाव होने के कारण वह पूर्णता सत्य नहीं मानी जा सकती.

रामायण के अनुसार 

यह बात उस समय की है जब वानरों के राजा बाली एवं उसके छोटे भाई सुग्रीव के बीच युद्ध चल रहा था जिसमे सुग्रीव अपने बड़े भाई बाली से बचने के लिए हनुमान जी की शरण में जाकर उनसे सहायता मांगते है की वह उन्हें कही छुपा दें. उसी समय सुग्रीव को वन में से आते दो पुरुष दिखाई देते है. वह पुरुष साधारण वस्त्र एवं हाथों में धनुष लिए होते है जिन्हें देखकर सुग्रीव के मन में भय उत्पन्न होता है की उसके बड़े भाई बाली ने उसे मरने के लिए गुप्त सैनिक भेजे है. जो उसे मारने के उद्देश्य से उसके समीप आ रहे है.

सुग्रीव ने इस विषय की जानकारी हनुमान जी को दी और उनसे आग्रह किया की वह स्वयं जाकर उन आने वाले पुरषों की जानकारी प्राप्त करें. सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी ब्राम्हण का वेश धारण करके उन पुरुषों के सम्मुख प्रस्तुत हुए और उनसे पूछने लगे की वह कौन है कहाँ से आये है उनका उद्देश्य क्या है. तब राम भगवान अपना परिचय देते हुए हनुमान जी को माता सीता के अपहरण की घटना से अवगत कराते है.

हनुमान जी को जैसे ही ये एहसास हुआ की ये कोई ओर नहीं उनके आराध्य श्री राम प्रभु है तो वह अपने असली रूप में आकर श्री राम भगवान के चरणों में गिर गए और उनसे क्षमा मांगने लगे की उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है. वह अपने आराध्य को नहीं पहचान पाए. तब श्री राम भगवान हनुमान जी को अपने चरणों से उठाकर गले लगाते है और कहते है कि हनुमान तुम दुखी मत हो तुमने तो ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि मैं वेश में मिलूँगा.

 

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