भगोरिया में वैलेंटाइन डे और होली की अनूठी रीत
भगोरिया में वैलेंटाइन डे और होली की अनूठी रीत
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बोधवाड़ा: होली कब है होली, कब है होली, रमेश सिप्पी की बेमिसाल फिल्म शोले का ये डॉयलॉग आज भी अमर है और अमर है ये सवाल जो फागुन के आते ही हर हिंदुस्तानी की जुबान पर होता है कि होली कब है, मगर विविध संस्कृतियों के देश भारत में फ़ाग का पूरा महीना ही रंगो से सराबोर रहता है. मध्यप्रदेश के सरदारपुर विकास खंड के ग्राम सुल्तानपुर में गंगा महादेव मंदिर परिसर में भगवान की पूजा-अर्चना के साथ ही फाग की मस्ती शुरू हो जाती है.

मंगलवार को भगोरिया पर्व के साथ ही फ़ाग उत्सव शुरू हो जता है. 35 से 40 ढोल-मांदल और मंदिर में श्रद्धालुओं कि भीड़ के साथ भगोरिया का दृश्य बेहद शानदार होता है. तक़रीबन एक दर्जन से ज्यादा गावों के 30 हजार से अधिक लोगों का ये महोत्सव अवस्मरणीय है. भगोरिया पर्व की शुरआत शिवरात्रि से हो जाती है ये होली का ही एक रूप है,यह मध्य प्रदेश के मालवा अंचल (धार, झाबुआ, खरगोन आदि) के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है.

भगोरिया के समय धार, झाबुआ, खरगोन आदि क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन और प्यार का रंग बिखरा नजर आता है, भगोरिया हाट-बाजारों में युवक-युवती बेहद सजधज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूँढने आते हैं, सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है. यदि लड़की पान खा ले तो हाँ समझी जाती है और लड़का लड़की को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों विवाह कर लेते हैं.

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