वाशिंगटन:: विश्व भर में अपने शांति संदेशों के लिए प्रख्यात चीन के धर्मगुरु दलाई लामा ने इंटरनेशनल कैम्पेन फॉर तिब्बत की 30वीं वर्षगांठ पर अपना एक वीडियो संदेश जारी किया है. जिसमे उन्होंने एक बार फिर कहा है कि, तिब्बत का चीन के साथ उसी तरह से अस्तित्व रह सकता है, जिस तरह से यूरोपीय संघ के देश एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.
धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि, वे अपने राज्य तिब्बत के लिए सिर्फ स्वायत्तता चाहते हैं, स्वतंत्रता नहीं. उन्होंने कहा कि 'मैं हमेशा यूरोपीय संघ की भावना की सराहना करता हूं. किसी एक के राष्ट्रीय हित से साझा हित ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. इस तरह की कोई अवधारणा सामने आई तो मैं उसके भीतर रहना पसंद करूंगा.' गौरतलब है कि दलाई लामा को चीन एक 'खतरनाक अलगाववादी' मानता है. वे 1959 तिब्बत में एक जनक्रांति के विफल हो जाने के बाद से ही वे भारत आ गए थे और धर्मशाला में अपना केंद्र बनाकर, एक निर्वासित सरकार की स्थापना की थी.
आपको बता दें कि चीन, दलाई लामा के प्रति सकारात्मक नजरिया नहीं रखता है, चीन सरकार एक बार पहले भी दलाई लामा को 'भिक्षु के भेष में अलगाववादी' कह चुकी है और उसने अपने राष्ट्राध्यक्षों को लामा से न मिलने की चेतावनी भी दी थी. किन्तु इस चेतावनी के बावजूद दलाई लामा से व्यक्तिगत तौर पर दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्ष मिलते रहे हैं, यहाँ तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा उनसे कई बार मिल चुके हैं. हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने उनसे अभी तक मुलाकात नहीं की है.
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