इस मंदिर में गणेश जी के तीन नेत्र हैं, जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है
इस मंदिर में गणेश जी के तीन नेत्र हैं, जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है
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हरी—भरी वादियों और बख्तरबंद दुर्ग में से होकर यदि आपको भारत के प्रथम मान्यता प्राप्त गणेशजी के दर्शन करने को मिले, तो क्या आप खुद को रोक पाएंगे! आप यदि राजस्थान की यात्रा पर हैं, तो आपको सवाई माधोपुर में रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर अवश्य जाना चाहिए। यह मंदिर वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल रणथंभौर दुर्ग के भीतर बना हुआ है, जो अरावली और विन्ध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित है। 

स्थानीय लोगों के अनुसार मंदिर का निर्माण महाराजा हम्मीरदेव चौहान ने करवाया था। कहा जाता है कि मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। यहा गणेश जी के तीन नेत्र हैं, जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह ऐसा इकलौता मंदिर भी जाना जाता है, जहां पूरा गणेश परिवार एक साथ मौजूद है। यह मंदिर लगभग 1579 फीट ऊँचाई पर स्थित है। यहां यदि आप परिक्रमा करते हैं, तो वह रास्ता 7 किलोमीटर का है और रास्ते में आप मनोहारी हरियाली और नैसर्गिक सौन्दर्य से प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। 

इस मंदिर में गणेश जी का शृंगार बहुत अनोखे तरीके से किया जाता है। सामान्य दिनों में चाँदी के वर्क होता है, वहीं गणेश चतुर्थी पर यह शृंगार सोने के वर्क से होता है। गणेश जी की पोशाक भी विशेष रूप से तैयार करवाई जाती है। 

आप यहां बारिश के मौसम में आ सकते हैं। चौथ माता के मंदिरऔर दुर्ग के अलावा यह स्थान रणथंम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के लिए भी मशहूर है। यहां आपको कई अन्य वन्य जीवों के अलावा टाइगर भी मिलेंगे। यहां का प्राकृतिक नजारा आपका मन मोह लेगा।

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