इन बजटों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाला असर
इन बजटों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाला असर
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नई दिल्ली : आम बजट जिसका नाम सुनते ही लोगों को मंहगाई के इस दौर में थोड़ी राहत दिखाई देती है और बजट में सरकार भी ऐसी नीतियां अपनाती हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था ही नहीं अपितु देश की जनता की भी स्थिति बेहतर हो सके. आजादी के बाद से देश में कई वित्तमंत्री आये और कई बजट भी पेश किये गए लेकिन उनमे कुछ बजट इतने अहम् रहे जिसने पूरे देश को बदल डाला. आइये डालते हैं ऐसे ही कुछ बजट के आंकड़ों पर...

साल 1957 का बजट (कृष्णामाचारी-कलडोर बजट) : इस वित्त वर्ष का बजट कांग्रेस सरकार के तत्वाधान में तात्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी के द्वारा पेश किया गया था. 15 मई,1957 को पेश किये इस बजट में कई फैसले लिए गए थे. जैसे कि इस बजट में आयात के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया था और नॉन-कोर प्रोजेक्ट्स के लिए बजट का आवंटन वापस लिया गया था. वहीँ निर्यातकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक्सपोर्ट रिस्क इन्श्योरेंस कॉरपोरेशन गठित की गयी थी. इस बजट के दौरान लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को 400% तक बढ़ा दिया गया था. वहीँ आयत करने पर टैक्स को बढ़ाना और कुछ प्रतिबन्ध के चलते बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा.


साल 1957 का बजट (द ब्लैक बजट) : यह बजट यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा 28 फरवरी, 1973 को लाया गया था. इस बजट में भी कई बड़े और अहम् फैसले लिए गए. सामान्य बीमा कंपनियों, भारतीय कॉपर कॉरपोरेशन और कोल माइन्स का इस बजट के दौरान राष्ट्रीयकरण करने के लिए 56 करोड़ रुपए मुहैया कराये गए. इस बजट में 550 करोड़ रुपए का अनुमानित घाटा भी रहा लेकिन कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण होने से व्यापक तौर पर इसका असर पड़ा. गौरतलब है कि पिछले 40 वर्षों से भारत कोयले का आयात कर रहा है.

साल 1987 का बजट (गांधी बजट) : साल 1987 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 28 फरवरी को आम बजट पेश किया था. इस बजट में निगम कर के सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था. इस बजट में न्यूनतम बजट कर प्रणाली लागू की गई थी जिसे आज एमएटी (मैट) या मिनिमम अल्टरनेट टैक्स के नाम से पहचाना जाता है. इस कर प्रणाली को लागू करने के पीछे उद्देश्य था कि जो कम्पनी भारी मुनाफा कमाती है लेकिन सरकार को टैक्स देने से बचती हैं उन कंपनियों को टैक्स के दायरे में लाना.

इसके अलावा जिन बजट ने देश की अर्थव्यवस्था पर असर डाला है उनमे पी चिदंबरम का वित्त वर्ष 1997 का ड्रीम बजट. वित्त वर्ष 2005 में पी चिदंबरम द्वारा पेश किया गया फ्लैगशि‍प प्रोग्राम, आदि भी देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे.

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